Saturday, July 25, 2009

छिपा हुआ चाँद

आज चाँद पर हमें , बहुत प्यार है आया
क्योंकि ....चाँद में उनका दीदार है आया
जब उस चाँद को देखने हम छत पर आये ,
तो देखा की चाँद को भी है बादलों ने छुपाया ..........
एक तो उनकी याद में , पहले ही उदास थे हम ,
ऊपर से चाँद ने भी कर दिए , हम पर कितने सितम ....
की एक चाँद को देखने , चाँद के पास आये थे ...
सोचा की तेरी यादों के खजाने को लेंगे बाँट ........
लेकिन ये चाँद तो खुद अपने चकोर से मिलने को रहा ,था तरस .....................
जिसे बादलों ने खुद में छुपाया था।,
तब चाँद ने भी हवा को अपना संदेश सुनाया था ।
की जाकर छु ले मेरे दोस्त को तू सरहद के पार
और कह दे उसे की तेरा दोस्त कर रहा .........है तेरा इंतज़ार !

Friday, July 17, 2009

कैसा होगा इनका भविष्य


अपनी हैरानी में छिपा नही पाई , जब उस सात -आठ साल की बच्ची ने मुझे बताया की उसका सपना है की उसे पेट भर खाना खाने को मिले ! इस तरह की घटनाएँ यह सोचने पर मजबूर करती है की आज भी भारत में न जाने कितने बच्चे ऐसे हैं , जो भुखमरी और अशिक्षा के शिकार हैं ! ये बच्चे भारत का भविष्य हैं और निश्चित तौर पर स्वयं इनका भविष्य उज्जवल नही है ! उनके भविष्य को सवारने वाला कोई नही है !

पन्द्र्वी लोकसभा का चुनाव , और बजट कुछ दिन पहले ही सब ख़त्म हुआ है ! सभी राजनितिक दलों और नेताओं ने बडी-बडी बातें की ,पर किसी का ध्यान ऐसे बच्चों और उनकी जरूरतों की और नही गया ! किसी ने इस तरह के मुद्दे को एक बार भी अपने भाषण में शामिल नही किया ! जगह -जगह महिलाएं छोटे -छोटे दुधमुहे बच्चों को गोद में लेकर भीख मांगती हुई आसानी से नजर आ जाती हैं ! कभी इन बच्चों पर दया आती है , तो कभी घृणा भी होती है की अगर इन्हे अच्छी परवरिश नही दे सकते थे , फिर इन्हे पैदा ही क्यों किया !

सरकार को भीख मांगने पर पुरी तरह से पाबंदी लगनी चाहिए और भीख मांगकर अपना गुजरा करने वालों के लिए रोजगार योजनायें लागू करनी चाहियें ! खासतौर पर बच्चों के द्वारा भीख मांगने पर पूरी तरह से पाबंदी लगनी चाहिए !यही बच्चे बडे होकर चोरी , नशाखोरी व् ग़लत काम करते हैं !क्यों न बच्चपन में ही इतनी शिक्षा दी जाए की इन बच्चों को एक बेहतर भविष्य मिल सके !देश का सारा भार इनके कंधो पर हैं , अगर इन्हे मजबूत न किया गया तो देश का भविष्य कैसा होगा ?

Thursday, July 16, 2009

नसीहत

विदाई का समय हो गया है ! अनीता को भेजो ! बस उसे कुछ समझा कर आई ! बेटी ससुरालवालों के आगे झुकना नही और गौरव को तो शुरुआत से ही अपने बस में कर लेना ! हमने सब सामान दिया है और तेरे साथ है , किसी भी बात की कोई चिंता करने की जरूरत नही है ! समझ गई ?

बेटी हाँ कहकर रोतीरोती चली गई ! आज जब बड़े चाव से अपनी बहु को लेकर आ रही थी तो मन में सोचने लगी की अब सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जांउगी ! तभी मेरी समधन की आवाज मेरे कानों में पड़ी , बेटी सास को हमेशा माँ समझना , जैसे में कुछ कह देती हूँ अगर व भी कह दे तो दिल से न लगाना ! उनकी सेवा में ही स्वर्ग है !

सहसा मुझे अपनी बेटी को दी हुई नसीहते याद आने लगी की अगर आज इन्होने भी अपनी बेटी को वही समझाया होता तो उसका घर भी बनने से पहले उजड़ जाता और हम सबका क्या हाल होता !

Tuesday, July 14, 2009

यादें


आज क्यों बार -बार हमें
तुम्हारी याद आ रही है ,
यह यादें ही हैं जो हमें इतना सता रही हैं ,
कैसे कोई दिल के
करीब आया है
साथ में जुदाई का गम भी लाया है
न चाहते ,या चाहते ,तुम्हारी यादों में खो जाते हैं ,
उन हसीं लम्हों को याद कर चेहरे पर ,
मुस्कुराहट लाते हैं ,
देखते है सपने ,बंद ही नही
खुली आंखों से भी ...............की
तुम्हारे करीब है हम , पर न जाने क्यों ......
ये सपने डरा जाते हैं ...कितनी दूर हो तुम ,
यह एहसास करवा जाते हैं .......
यह सोच ख़ुद को तसल्ली बख्शते हैं ॥
की चाँद के बहाने रोज मिलने तो हो आते ॥
कभी हवा के झोंके तो कभी सूरज की किरण
बन छूकर हो जाते ..........................
वंहा रहकर भी तुम .......यंहा हो .....
यंहा होकर भी .......में वंहा हूँ ,
फिर भी न जाने क्यों ,एक बेचेनी की वजह हो ,
यह बेचेनी बदती जाती है ....तुम्हारा
अक्स सामने लती है ......
उस अक्स को देख कर मेरी ॥
जान तुम्हे मिलने को हर दम निकलती जाती है ......

Saturday, July 11, 2009

ओ मां...


ऐ खुदा,
तूने मां के रूप में एक फ़रिश्ता है दिया
जिसने कभी अपने बच्चों से कुछ न लिया
कितनी ही गलती करे वह या करे नादानियां
तेरी ममता की झोली भुला दे सारी परेशानियां
जब पास होती हैं तो तुझे जान नहीं पाते
क्या है कीमत तेरी पहचान नहीं पाते
तुझसे दूर होकर जाना
आज तू बड़ी याद आ रही है
क्यों करती है इतना प्यार अपने बच्चों से
कि तेरी दूरी इस कमी का एहसास करवा रही है
ये ममता का आंचल
हमेशा खुशियां ही निछावर करता है
जब करते है गुस्ताखी तो मां
तुझसे ये दिल डरता है
आ मां मेरे पास
तेरी यादें सता रही हैं
तेरी बातें आज बहुत रुला रही हैं...

Friday, July 10, 2009

इंतज़ार है चांद को भी...



बादलों में छिपे ऐ धुंधले चांद
तेरी भी अपनी ही है एक कहानी
किसी को दिखता है तुझमें
रोटी का टुकड़ा तो किसी को खोई जवानी
किसी का सपना है चांद को छूना
तो कोई देखे इसमें महल चौबारे
न जाने कोई इस चांद की व्यथा
जाने इसे बस अंबर के तारे
दुनिया का साथी चांद
किसी का महबूब
तो किसी की लंबी जुदाई का सबब बन जाता है
खुद कितना अकेला है ये
बस अपनी आधी पूरी जिंदगी में ही बंट जाता है
एक बच्चा जब पूछे मां से कि
इसकी भी क्या है कहानी
कभी यह पूरा ख़ुशी में गोल
कभी गायब जैसे आंख से बहता पानी
मां बोलती ये ही है जिंदगानी
जिनके पास है एशो-आराम
उनकी रोज है ईद-दिवाली
चांद भी यह सुन कर हैरां परेशां है
क्यों निकलती हमेशा इन गरीबों की जान है
कभी-कभी वह भी देख तंग हो उठता है
कि क्या हो रहा है संसार में
पर खुद को मान अपाहिज
वह भी चुप हो जाता है
अपना दर्द वह भी कभी किसी को नहीं बतलाता है
काम अपना कर रहा है
दुनिया को देख-सुन रहा है
उम्मीद करता है वह उस दिन की
जब वह बच्चा भी चांद में अपने सपने को देख सकेगा
अब लगता है
उस दिन का चांद भी बेसब्री से इंतजार करेगा...