अम्मा जल्दी करो ना समारोह शुरू होने वाला है ! तुम्हे याद नहीं का मालिक बोले थे सब वक़्त पर आ जाना क्योंकि नेता जी आयेंगे ! अच्छा लगेगा का की हम सब से अंत में पहुंचे ! नेता जी कितना कुछ कहेंगे खाना भी समाप्त हो जायेगा ! हमें पूरा विश्वास है की अब हमारा रोजगार भत्ता भी बढेगा ! तुम देखना , मुन्ना के चेहरे पर जो विश्वास था माँ वही देख डर रही थी की कंही ये सपने बिखर ना जाए ! तभी मुन्ना की अम्मा दुखी स्वर में बोली , हाँ तुम चलो हम तुम्हारे बापू को दवाई देकर आते हैं ! अम्मा एक व्यंगात्मिक हंसी हँसते हुए कहने लगी कितना खुश है , पर यह का जाने की सच्चाई क्या है ! अम्मा और मुन्ना भी कारखाने के मैदान में पहुँच गये जंहा बस्ती के बाकि लोग भी मौजूद थे ! वही हुआ जो सब जानते थे इंतजार के बाद या कहे नियत समय से तीन घंटे बाद नेता जी पधारे , वही लेबर डे के उपलक्ष में भाषण दिया गया ! सब ने तालियाँ बजाई , नेता जी के वायदों ने मुन्ना जेसे कई बच्चों का दिल जीत लिया , सबको खाना खिलाया गया ! सभी बस्ती वाले चेहरे पर शुन्य भाव लिए जब घर की और आ रहे थे , लेकिन मुन्ना के मन में उत्साह था , उमंग की एक नयी लहर ! घर पहुँच कर उसने , बाबा को सारी बात बताई ! अगले दिन काम करने के बाद जब मजदूरी लेने का वक़्त आया तो उसके होश उड़ गए , एक सो पचास रूपए में पचास रूपए कम थे ! उसने जब मुनीम से इसका कारण पूछा , तो वह खा जाने वाले स्वर में बोला चुप रह अंडे से बाहर अभी निकला नहीं , चला है सवाल जवाब करने कल जो मुफ्त का खाया था उसका पैसा तेरा बाप देगा ! मुन्ना कभी अपनी माँ का चेहरा , कभी नेता जी की बातें तो कभी लेबर डे का लगा बोर्ड देख रहा था !