Friday, June 8, 2012

अनमोल तोहफा

विधालय का आखिरी पिरीअड चल रहा था ! सुनीता मैडम बच्चों को पढ़ाने के साथ ज्ञानवर्धक बातें भी सिखाती हैं ! इसलिए उनकी कक्षा में सभी बच्चे एकाग्रचित होकर सारी बातें सुनते ! वे बता रही थी की हमें कभी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए ! गरीबों की सहायता करनी चाहिए! अचानक राजू हाथ ऊपर कर खड़ा हुआ ! सुनीता मेडम ने बहुत ही प्यार से कहा की बेटा कुछ पूछना है ! राजू कहने लगा की हमारे पास धन नहीं है तो हम किस तरह किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं ! मेडम कहने लगे मुझे ख़ुशी है की तुमने इतना सोचा ! बैठ जाओ राजू ! यह सवाल आमतौर पर सबके जेहन में था ! वे समझाने लगी की किसी नेत्रहीन या अपाहिज को सड़क पार करवाकर ....या फिर सबसे बड़ा धन देकर ..हम उनकी मदद कर सकते हैं ! सबसे बड़ा धन ! कौन सा मेडम लगभग सभी बच्चों ने मिलकर कहा ! विद्या धन अपनी पुरानी कापियों, किताबों , को व्यर्थ फाड़ कर या बेच कर हम उन्हें किसी को दान कर सकते हैं !इतने में छुट्टी की घंटी बजती है ! सब बच्चे मेडम को नमस्ते कहकर चले जाते हैं ! मिनी भी यही सब बातें सोच अपने घर रही होती है की रास्ते में उसे एक छोटी सी लड़की फूल बेचती नजर आती है ! मिनी उसके पास जाती है प्लीज़ मुझे दो फूल दे दो ! ये कितने सुंदर हैं ना ! लड़की हाँ में सर हिलती है ! अरे में तो पूछना ही भूल गयी इनकी कीमत क्या हैं ! लड़की दो रूपए मांग लेती है ! मिनी को लगता है वह लड़की कुछ दुखी है ! मिनी उसे पूछती है की तुम्हारा नाम क्या है ! तुम स्कूल नहीं जाती ! तुम्हारे घर पर कौन कौन है ! इतने सारे प्रशन सुनकर वह लड़की घबरा जाती है और रोने लगती है ! अरे चुप हो जाओ ! मैं कुछ नहीं बोलूंगी ! मिनी उसके पास ही बैठ जाती है ! दीदी मेरा नाम पूजा है ! मेरी माँ पहले फूल बेचने आया करती थी लेकिन पिछले कुछ समय से वे बीमार थी! इलाज हो पाने के कारण उनकी म्रत्यु हो गयी इसलिए अब में फूल बेचने आती हूँ! मिनी को उस पर बहुत दया आती है ! पूजा -माँ के जाने के बाद पहली बार मुझसे किसी ने ऐसे बात की इसलिए माँ की याद गयी ! मिनी उसे कल मिलने का वादा कर चली जाती है ! मिनी की मम्मी देर से आने का कारण पूछती है ! मिनी मम्मी को पूजा के बारे में सब बताती हैं ! मम्मीमिनी को कहती है की तुम चिंता मत करो हम उसकी यथासंभव सहायता करेंगे ! तुम खाना खाकर सो जाओ ! शाम को मम्मी मिनी को कहती है की तुम्हारे दोस्त तुमे खेलने के लिए बुला रहे हैं! नहीं मम्मी मेरा मन नहीं है मुझे नहीं खेलना ये कहकर मिनी मना कर देती है ! उसके दिमाग में कंही कंही पूजा का ही ख्याल रहता है !वह यही सोचती है की पूजा ने खाना खाया होगा या नहीं ! उसका तो कोई भी नहीं है! लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती ! अब मिनी ज्यादातर स्कूल से आते समय पूजा को मिलकर आती ,उसे खाने का सामान , पैसे इत्यादि दे देती! एक दिन जब मिनी वापिस रही होती है उसे पूजा नजर नहीं आती ! वह उसे आस-पास तलाशती है लेकिन पूजा का कुछ पता नहीं चलता ! वह घर आकर मम्मी को बताती है ! क्योंकि मिनी की पूजा से अच्छी दोस्ती थी और वह भी मिनी को दीदी मानती थी ! मिनी की मम्मी फिर उसे समझा कर खेलने भेज देती है ! मिनी की मम्मी उसके पापा को सब बताती है ! वे उसका उपाय निकलते हैं ! मिनी स्कूल जाकर अपने सहपाठियों सहेलियों को इस बात के बारें में बताती है ! वे सब कहते हैं की अगर हम अपनी पॉकेट मनी का कुछ हिस्सा भी बचाएँ तो पूजा की काफी मदद हो सकती हैं ..और अगर हम शाम को खेलने के समय में पूजा को थोड़ी देर पढ़ा भी सकते है ! सब इस बात के लिए राजी हो जाते हैं .. और छुट्टी होने के बाद पूजा से मिलने जाते ! परन्तु वंहा पर कोई नहीं होता ! नेहा- मिनी से पूछती है की पूजा कहाँ है ! चलो आस-पास देखते हैं या किसी से पूछते हैं ? अंकल यंहा आपने किसी फूल बेचने वाली लड़की को देखा ! नहीं बेटा वो लड़की तो - दिन से दिखाई नहीं दी ! राजी चलो यार चले - घर के लिए लेट हो रहे हैं ! शायद उसका कोई रिश्तेदार उसे साथ ले गया हो ! मिनी उदास हो जाती है और भारी मन से घर की और मूड जाती है ! नेहा -मिनी को समझती है की वो उदास हो , हम फिर पूजा को ढूँढने जायेंगे ! सभी इस बात के लिए राज़ी हो जाती है ...हाँ ठीक है चलो बाय -बाय ! मिनी घर पहुँचती है तो देखती है की घर में बहुत रौनक है और सब मिनी के जन्म -दिन की तैयारियों में लगे हुए हैं .. जो परसों था ! घर में सबको हँसता देख मिनी किसी को कुछ नहीं कहती ! उसके दादा-दादी नाना-नानी सब चुके थे ! मम्मी मिनी को कहती है की कल हम तुम्हारी खरीददारी करने चलेंगे और तुम्हें अपनी जिन सहेलियों को बुलाना है उनकी लिस्ट बना लो ! मिनी अपने माँ-बाप की एकलौती बेटी है ! हर साल उसका जन्मदिन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता सभी रिश्तेदार उनके घर आते ! अगली सुबह से तो मिनी भी बहुत व्यस्त थी बाजार जाना, सबको फ़ोन करना सारे कम करते -करते पूरा दिन निकल गया ! जन्मदिन की सुबह से ही वह एक परी की तरह चमक रही थी ! पहले दिन में पूजा शाम को पार्टी थी ! वह बहुत खुश थी पर उसे पूजा याद रही थी ! शाम को पार्टी के लिए उसने सुंदर सा लहंगा लिया था तैयार होकर वह बहुत प्यारी लग रही थी ! उसके सभी सहपाठी सहेलियां चुकी थी ! मिनी- मम्मी मेरा बर्थडे गिफ्ट कन्हा है ! मम्मी हसने लगी की पापा ला रहे हैं ! वह केक काटने लगी तो देखा की पापा पूजा को लेकर रहे हैं ! मिनी की समझ में कुछ नहीं आया ! अरे केक तो काटो बेटा सब बताती हूँ ! मिनी ने ख़ुशी से हाँ की और सबको केक खिलाया ! फिर पापा ने मिनी को गले लगाकर कहा पूजा आज से हमारे साथ रहेगी ! तुम्हारे साथ स्कूल में पड़ने जाएगी ! मिनी की ख़ुशी का ठिकाना रहा ! क्योंकि पूजा के रूप में उसे अपने जन्मदिन का अनमोल तोहफा मिल
गया था !
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