Thursday, May 9, 2013

एकता में शक्ति




चम्पक वन नाम का  एक छोटा सा जंगल था जो शिवालिक की पहाड़ियों से घिरा हुआ था ! यंहा कई छोटे -बड़े पक्षी अपना अपना घोसला बनाकर रहते थे ! सुंदर फूल, बड़े-बड़े वृक्ष इस वन की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगते थे ! इस वन में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी ! पक्षियों के पीने  के लिए स्वच्छ तालाब , चारों  तरफ शांत और सुखद माहौल आपस में कोई   वैर-विरोध कोई लड़ाई ! क्योंकि लडाई  झगडे के लिए आपस में बातचीत होना बेहद ज़रूरी है और इस वन की अनोखी बात ये थी की यंहा कोई किसी से बात  ही नहीं करता था ! सब अपनी ही दुनिया में मगन रहते ही किसी का आपस में मेल -जोल था दोस्ती एक अजीब सी चुप्पी उन सबके बिच विधमान थीसभी पक्षी सुबह- सुबह अपने घोसलों से दाना चुगने के लिए निकलते और शाम ढले ही वापिस लौटते थे  ! घर आकर वो अपने बच्चों के साथ खेलते उनसे अपने दिल की बातें सांझी करते थे ! यही सब करते उनका वक़्त सुख से गुजर रहा था ..लेकिन एक दिन बड़ी ही अजीब घटना घटित हुई ! हुआ ये की जब बुलुबुल मैना  अपने घर आई तो उसने देखा की उसका घोसला टूटा हुआ है ..और अंडों  के छिलके ज़मीन पर बिखरे हुए हैं ! वो ये सब देखकर घबरा गयी और जोर -जोर से रोने लगी ..उसे कुछ समझ नहीं रहा था , की ऐसी हरकत कौन कर सकता है ! उसने पेड़ के चारों  तरफ देखा कंही टहनियां और फल निचे गिरे हुए थे ! बुलबुल मैना रोते हुए सोचने लगी की अगर कोई तूफान आया होता तो सभी पक्षियों के घोसलें को नुकसान पहुंचता लेकिन यंहा तो सिर्फ बुलबुल का ही घरोंदा ही उजड़ा थाउसे लगा की शायद उसकी पड़ोसन ब्लेकी कोयल ने उसे परेशां के लिए ये सब किया है ..पर उसे अपनी परेशानी का कोई हल नहीं सूझ रहा था ..वो पूछे तो पूछे किससे  और बताये तो किसे अपनी परेशानी बताये ! लेकिन फिर भी वो उड़ कर ब्लेकी कोयल के पास चली गयी और गुस्से में उसके साथ झगडा करने लगी ! ब्लेकी ने बुलबुल को समझाया ! कि मैं ऐसा क्यों करुँगी .मुझे ये सब करके क्या मिलेगा ! मैं तो खुद अपने साथ-साथ कपटी कोए के बच्चों को भी पालती  हूँ ! ये कहकर वो कुहू-कुहू करती उड़ गयी ! बेचारी बुलबुल चुपचाप अपने पेड़ पर गयी और सारी रात अकेले आंसू बहाती  रही क्योंकि वो जानती थी की उसके दुःख में आंसू बहाने वाला और कोई नहीं था . जो उसे दिलासा देता या उसका गम बाँट लेता ! बुलबुल भी रोते -रोते जाने कब सो गयी उसे भी पता नहीं चला ! सुबह सूरज की रौशनी के साथ सभी पक्षियों की दिनचर्या फिर से शुरू हो गयी और शाम को जब सभी दाना लेकर घर लौटे तो अपने अपने बचों को आवाज़ देकर पुकारने लगेलेकिन जब चीनी चिड़िया अपने घर आई तो देखकर परेशान  हो गयी क्योंकि उसका घोसला बरगद के पेड़ से नदारद था ! वह इधर-उधर ढूंढती रही और तभी उसकी नज़र नीचे बिखरे हुए अंडों के छिलकों पर पड़ी ! चीनी चिड़िया को समझते देर लगी की ये काम किसी दुसरे जानवर का है ! लेकिन वो ये सोच के हैरान थी की कौन ऐसा काम करेगा और क्यों ! चीनी चिड़िया भी दुखी मन से पेड़ की किसी टहनी पर बैठ गयी और सोचने लगी की क्या किया जाये ..और ये सोचते-सोचते ही उसकी आँख लग गयी ! अगले दिन चीनी दाना लेने ना जाकर चम्पक वन में ही रूक गयी और दोपहर बाद ही सचाई उसके सामने थी की ये कौन कर रहा है .वो समझ गयी की  इस मुश्किल से छुटकारा पाना  उसकी अकेली की बस की बात नहीं है   !  लेकिन उसने निश्चय कर लिया था की वो हार नहीं  मानेगी ! धीरे-धीरे ये घटना पुरे जंगल में आम हो गयी ..अब समस्या किसी एक पक्षी तक सिमित नहीं थी ! हर पक्षी अपना दुःख दुसरे पक्षी के साथ बाँटने को बेताब थायही सब सोचकर और हालत को देखते हुए चीनी चिड़िया ने हनी तोते की मदद मांगी और दोनों ने मिलकर एक सभा का आयोजन किया और  उसमें सभी पक्षियों को बुलाया गया ताकि समस्या का हल  निकाला जा सके !   सोनू गिलहरी  बोली की सबसे पहले हमें दुश्मन का पता लगाना होगा की ये सब कौन कर रहा है ! ये सुनते ही चीनी चिड़िया ने कहा ये तो मुस खोंखार बन्दर कर रहा है ..औऔर बताने लगी की कैसे वो सबके जाने के बाद यंहा आकार उत्पात मचाता है ..क्योंकि वो हमारी कमजोरी जानता  है की हम सब में एकता नहीं है !  मीठी चिड़िया ने कहा  उसका मकसद हमारे अण्डों से अपना पेट भरना तो है ही साथ ही हमारे घोसले तोड़ कर हमें परेशान करना भी   है ! पिंकू कबूतर ने कहा बस अब बहुत हो गया अब हम उस कपटी को सबक ज़रूर सिखायेंगें हाँ अब हम मिलकर इस मुश्किल का सामना करेंगें सभी पक्षियों ने कहा तभी बुलबुल मैना  ने कहा की हमें इसके लिए एक योजना बनानी होगीसभी पक्षियों ने इस बात का समर्थन किया तभी ब्लेकी कोयल ने कहा की सबसे पहले ये पता लगाये जाए की वो किस समय आता है ..तभी गुनी तोता बोल इस बात से कोई ख़ास फरक नहीं पड़ता हमें अपनी तयारी करनी चाहिए ! छु-छु चिड़ा कहने लगा की क्यों हम सब  मिलकर उस पर आक्रमण कर दें अचानक हुए हमले से वो घबरा जायेगा और फिर कभी लौट कर वापिस नहीं आयेगा ! पिंकू कबूतर ने कहा की अच्छी योजना है पर इतने से बात नहीं बनेगी ..तभी चीनी चिड़िया ने कहा की छु-छु चिड़ा की योजना में ही मैं एक और योजना जोड़ना चाहती हूँ ! क्यों हम बहन हनी मधु-मखियों और बनी चींटियों की मदद ले लें ! सभी हैरानी से एक-दुसरे का चेहरा देखने लगे ..तभी चीनी चिड़िया ने कहा  रुकिए मैं विस्तार से समझती हूँ ! बन्दर के आने से पहले हम सब इधर -उधर छुप जायेंगें बन्दर हमेशा की तरह अपने नए शिकार को ढूंढेगा और जन्हा तक मेरा अंदाज़ा है तो वो इस बार पीपल के पेड़ पर रहने वाली ब्लेकी को ही अपना निशाना बनाएगा ..सभी गौर से चीनी की बात सुन रहे थे ..तभी चीनी ने कहा की इस बार घोसले के अन्दर अंडे नहीं चीटियों का झुण्ड होगा जैसे ही बंदर अपना हाथ घोसलें में डालेगा सभी चीटियाँ उस पर हमला कर देंगे .साथ ही बहन  मधुमखियाँ उसके शरीर को कट खायेंगी और साथ ही हम सब अपनी चोंच से प्रहार शुरू कर देंगें ..सभी को चीनी चिड़िया की योजना पसंद   गयी .और वे हनी बनी की मदद लेने के लिए उनके पास चले गये ! .और वे तुरंत उनकी मदद करने के लिए मान गयी अब सभी जंगलवासी इस मुश्किल से लड़ने को तैयार थे !अगले दिन  वैसा ही हुआ जैसा उन्होनें सोचा था  नियत समय पर वो उत्पति बन्दर जंगल में गया ..और सब कुछ योजना के अनुसार ही होने लगा ..बंदर ने इस अचानक होने वाले हमले की कल्पना भी नहीं की थी .चीटियों मधुमखियों के हुए प्रहार से वो बोखला गया तभी .पक्षियों के अचानक प्रहारने उसे लहू-लुहान कर दिया वो सबसे क्षमा की भीख मांगने लगा ..लेकिन अब तक भट देर हो चुकी थी अपने बचाव में भागते हुए वो पेड़ से गिर पड़ा और वन्ही मर गयासभी पक्षियों ने चैन की सांस ली और अब सब इस बात को समझ चुके थे की एकता में ही शक्ति है ..एक साथ जुट कर हर समस्या को सुलझाया जा सकता है ! हर बुराई  को ख़तम किया जा सकता है ! बस जरूरत है हिम्मत से एक कदम उठाने की ..इस दिन के बाद कभी कोई बन्दर उन्हें सताने नहीं आया और वो मिल-जुल कर प्यार से रहने लगे ..