Thursday, June 27, 2013

चाँद और सपने

सपनों  की नगरी से आया हूँ 
तुम भी एक सपना ले लो 
पैसा चाहो , गाडी चाहो या चाहो ऐशो आराम 
कोई  बनेगा बड़ा अफसर ऊँचा करेगा देश का नाम 
मैं सपनों का सौदागर तुम भी एक सपना ले लो 
कोई चाहे सेहत खजाना , कोई चाहे रंग-रूप ,
सोना  , चाँदीहीरा मांगें जैसे तन पर धुप 
कोई मांगता खाना और कपडा , लेकर आँख में आंसू 
ना देखा कैसा होता है ,चाँद का चांदनी  जादू 
तुम हो सपनों के सौदागर ,तो सपना सच कर जाओ 
कोई सोये  भूखे  पेट ये चमत्कार दिखलाओ 
सबके  सर पर छत हो रहे झोली खाली 
कर दो सब सपनों को सच  , रात छट  जाए काली 
मांग - मांग तो बढती जाए कैसे करून मैं पूरा 
रोज़ दिखता हूँ मैं सपने , खुद जो ठहरा अधूरा 


Friday, June 21, 2013

अन्धविश्वास पर विश्वास सही या गलत

सौरभ एक पढा- लिखा आज की पीढ़ी का नौजवान है ! एक सरकारी कार्यालय में वो क्लर्क की नौकरी करता है ..  उसके दफ्तर में जो कुर्सी उसे दी गयी उसका मुख दक्षिण की और था ..सौरभ ने जब ये बात अपने पंडित जी को बताई तो  कहा की अगर तुम तरक्की करना चाहते हो तो पूर्व की और मुख करके बैठो ! सौरभ ने तुरंत अपनी जगह बदल ली और सौरभ का सोभाग्य कहे या जगह की करामत उसके कई बिगड़े काम भी बन गए ! अब तो उसे पंडित जी की बात पर पूरण विश्वास हो चूका था ! अब तो उसने ठान लिया की आंधी  या तूफान वो अपनी जगह कभी नहीं  बदलेगा ! उसी जगह आर एक पुराना छत वाला पंखा कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहा था ..जो अभी काफी जर्जर अवस्था में था ..ऑफिस के सभी लोगों ने उसे  समझाया की यंहा बैठना खतरे से  नहीं है ! कभी भी कोई  दुर्घटना घट सकती   है लेकिन उस पर किसी भी बात का कोई असर नही हुआ ! एक दिन सौरभ शाम के वक्त पास की गुमटी से चाय का मज़ा ले रहा था जब वह वापिस लौटा तो वो पंखा छत पर नहीं उसकी सीट पर गिर हुआ था ! सभी कर्मचारी सौरभ को देख कह रहे थे की अगर तुम यंहा होते तो जाने क्या होता लेकिन सौरभ ने जवाब दिया क्या अब भी आपको किसी प्रमाण की जरूरत है ये पंखा तब गिर जब मैं यंहा नहीं था .. अब इसे क्या कहें अन्धविश्वास या अटूट विश्वास !
ऐसी ही दो घटनाएं और हैं !  एक ट्रक ड्राइवर रात के वक्त सूनसान सड़क पर गाड़ी चलाते हुए जा रहा था। ट्रक के हेडलाइट में उसने अपनी गाड़ी के आगे सड़क पर कोई चमकती चीज देखी, तो ब्रेक लगाया। गाड़ी से नीचे उतरा, उसने देखा कि पहिए के नीचे एक जोड़ा साँप कुचला पड़ा था  ड्राइवर सहम गया। उसने अपने बड़ों से सुना था कि जोड़ा लगे साँप को मारने वाला जीवित नहीं रह पाता। ढाबे पर पहुँचते ही उसे तेज बुखार हुआ। बेहोशी में रात भर बड़बड़ाता रहा औरअंत में दिल का दौर पड़ने से उसकी मौत हो गयीदूसरी घटना भी कुछ इसी प्रकार की है ,  एक सांप के जोड़े पर  लोगों की नजर पड़ी वे डरे, पर मारने का साहस नहीं जुटा पाए। पास में एक पढ़ने लिखनेवाला व्यक्ति रहता था। मोहल्ले वालों ने आपस में सलाह मश्विरा किया कि यह तो इन मान्यताओं का मजाक उड़ाता है। इसे ही कहा जाए। जब उस व्यक्ति से कहा गया तो उसने तुरत अपनी बन्दूक उठाई, बाहर आया और साँप को गोली से मार दिया। लोग इन्तजार करते रहे कि यह नहीं बचेगा, पर उसे कुछ भी नहीं हुआ। इन दो घटनाओं की व्याख्या यही है  कि ट्रक-ड्राइवर को बचपन से जो जानकारी मिली थी उसी ने उसके मन , मस्तिष्क में दर की चवी बना दी और इसी  आतंक के कारण  उसे जान गँवानी पड़ी हालाँकि साँपों को उसने मारा नहीं था, वे तो ट्रक के पहियों से उससे अनजाने में ही  कुचल गए थे। उसने सुनी सुनाई प्रचलित बातों पर बिना सोचे समझे विश्वास कर रखा था। जबकि दूसरे व्यक्ति ने जानबूझकर एक गोली से उनका काम तमाम कर दिया था ; पर उसे कोई हानि नहीं हुई क्योंकि सुनी सुनाई बातों की कोई छाप उसके दिमाग पर नहीं थी। वह अन्धविश्वासी नहीं था, तर्कशील था।
ऐसा ही आमूमन देखने को मिलता है . बिल्ली ने रास्ता काट दिया इसलिए रूक गए देरी से निकलने के कारण बस छूट गयी ! जिस वजह से  साक्षत्कार में देरी हो गयी और नौकरी हाथ से निकल गयी ..अब इस घटना का सारा दोष किसके सर पर मढ़ा जायेगा ..बिल्ली के ..क्योंकि उसी के कारण सब हुआ ! कहा भी गया है की इंसान हमेशा अपनी कमियों को छिपाने के लिए कोई कोई वजह तलशता है और अगर वो वजह कोई बेजुबान जानवर हो तो इससे आसान  और क्या हो सकता है ! ये वो बातें हैं जो सदियों से हम सुनते देखते रहे हैं ..साथ ही इन पर आँख मूँद कर विश्वास भी करते रहे हैं .. बिना ये सोचे की क्यों ये अस्तित्व में आई .. क्या कारण है की हमारे बुजुर्गों ने इस तरह की परम्पराओं या किन्व्दितियों को जनम दिया !
पुराने जमाने में अक्सर घर में इस प्रकार के चित्र लगे होते तो जिसमें कोई दैत्य की तरह दीखता प्राणी किसी को गरम तेल में ताल रहा है या किसी के हाथ काट दिए गये है ! ऐसा कहा जाता था की अगर तुम कोई भी गलत काम  मसलन झूट बोलेगे , चोरी करोगे , या किसी का बूरा करोगे तो एक शक्ति है जो तुम्हें हर वक्त देख रही है ..वो तुम्हें इस अपराध की सजा देगी ! इन सब बातों का मुख्य उद्देश्य यही था की उस वक़्त पुलिस थी ही सुरक्षाबल लोगों  को नैतिक रूप से समृद्ध करने   दूसरों के प्रति ईमानदारी बरतने के लिए ये सब दरव दिया जाता था ..और ये बातें उनके दिल और दिमाग पर इस कदर हावी हो जाती थी की वो कोई भी गलत  काम करते हुए डरते थे जिससे सभी लोगों को फायदा होता था ! और एक स्वस्थ समाज का विकास होता था 
ऐसे ही कुछ अन्य  अन्धविश्वास है .जिनके पीछे तर्क की शक्ति भी मौजूद है 
कहा जाता था की पेड़ों में जान होती है इसीलिए उन्हें काटना नहीं चाहिए .पेड़ काटने से हमारी जान को खतरा होता है .ये हम सभी जानते हैं की अगर हमें सांस लेने के लिए आक्सीजन नहीं मिलेगी तो हम वेसे ही  जीवित नहीं रहेंगें 
मंगलवार के दिन हमें  बाल नहीं कटवाने चाहिए ..इसके पीछे एक  कारण  ये भी है की उन्हें एक दिन भी छुट्टी नहीं मिल पाती थी .इसलिए एक नयी परम्परा का जनम हुआ ..और ये तो हम सभी जानते हैं की यंहा कोई भी बात जंगल की आग की तरह फैलती है ! और धीरे-धीरे ये हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गयी !
एक अन्धविश्वास ये भी है की अगर नमक का दुरपयोग किया जाए यानि उसे बर्बाद किया जाये तो वो हमें आँखों की पलकों से उठाना पड़ता है कारण  क्योंकि हमारे देश में नमक की हमेशा से कमी रही है ..लोग उसे व्यर्थ गवांये उसका सही इस्तेमाल करें ये बात बना दी गयी !
तुलसी माँ है क्योंकि वो प्रति-जीवाणु है , हमें कई बिमारियों से बचाती है . उससे जीवाणु , बेक्टीरिया मर जाते हैं . रोज़ पूजा करने से सकरात्मक उर्जा महसूस होती है ..वन्ही नीम तो हजार बिमारियों की एक दवा है ..इससे ना सिर्फ हवा छनकर आती है .बल्कि रोग मुक्त भी होती है ! सूरज की उगती किरनें आँखों के लिए बहुत लाभदायक होती है .इसलिए सूर्य को जल देना बहुत महत्वपूरण बताया गया है ..लेकिन आज के समय में सुबह ग्यारह बजे सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है ..और सोचा जाता है की हमें धन-धान्य की प्राप्ति होगी
छिपकली घर में हो तो उससे हानि होती है . दायें हाथ पर गिरे तो लाभ बांये हाथ पर गिरे तो फायदा इस तरह की भी कई बातें प्रचलित है ..लेकिन सब जानते हैं की छिपकली विश्कारी है ..अगर भोजन में गिर जाए तो इन्सान की म्रत्यु भी हो सकती है . उसे घर से दूर रखने के लिए ये सब कहानिया भी गड़ी जाती है पुराने वक्त में लोग बेहद विद्वान थे वो इन सब बातों के पीछे छिपे विज्ञान को समझते जानते थे .. लेकिन उन्हें ये भी पता था की लोग ऐसे उनकी बातों पर विश्वास नहीं करेंगें इसलिए उसे धरम , ,भगवन  पाप पुण्य से जोड़ा गया !
मानव स्वभाव है की वो हमेशा से भय  में जीता आया है . चाहे वो उसके , परिवार उसकी जिंदगी उसके स्वस्थ या पूर्व या आने वाले जनम का ही क्यों ना हो
कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनको हम सब कहीं ना कहीं किसी स्तर तक सही मानते तो हैं पर उनकी सत्यता सिद्ध नही कर सकते ! वो बचपन से हमारे मन में घर कर लेती है .. और उस वक़्त न हमें किसी तर्क की समझ होती है और न ही विश्वास की .. और जब इन बातों का पता लगता है तब तक वे मान्यताएं हमारा विश्वास  बन जाती है ..और अगर हम उनका अनुसरण नहीं करते तो हमारे मन में बिठाया गया डर हमें हर वक़्त सताता रहता है 
ऐसा नहीं है की ये सब बातें हमारे देश में ही मानी या सुनी जाती है ! विदेशों में भी अलगअलग मान्यताएं  है जिसे वंहा के लोग सच समझ उनका अनुसरण करते है ! इसके साथ ही कामयाबी के शिखर को छूने वाले मशहूर लोगों को करीब से देखें तो ऐसा लगेगा कि उनकी किस्मत और वहम का शायद कहीं कोई रिश्ता हो!
हॉलैंड के मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी ज़ोहान क्रफ़ मैच की शुरुआत से पहले अपने गोलकीपर की पेट पर चपत लगाया करते थे.अच्छी किस्मत के लिये लकड़ी छूने से लेकर सीढ़ियों के इर्द-गिर्द टहलने तक हम जाने क्या-क्या करते हैं.कहा जाता है कि हॉलीवुड अदाकारा जेनिफर एनिस्टन हवाई जहाज़ पर अपना दाहिना कदम रखने से पहले उसे बाहर से छू लेती हैं.
हम सब की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कुछ न कुछ वहम का असर दिखता है. हम इसके बारे में सोचना छोड़ दें तो शायद ही कुछ बदले और इन हरकतों से अच्छी किस्मत हमेशा नहीं आती.
कुछ लोग अंधविश्वास में आकर अपना नाम बदल लेते है ..या अपनी जीवन शेल्ली को भी किसी के कहे अनुसार कर लेते हैं ! लेकिन ये वो बातें है जिनसे किसी का कोई नुक्सान नहीं होता ! लेकिन अपनी संतान की प्राप्ति के लिए किसी और बच्चे की बलि देना . या किसी की उन्नति देख कर उस पर जादू टोना या मन्त्र सिद्धि कराना  कौन से शास्त्र में लिखा है ! अपने मन की कोमलता और इंसानियत को मरकर कोई कैसे इंसान रुपी हैवान बन सकता है ..वो भी अपनी स्वार्थ सीधी के लिए .. रोज़ , समाचारपत्रों मेग्ज़िनों में ऐसे कई तन्त्रमन्त्र वाले बाबाओं का भन्दा फोड़ किया जाता है ..लेकिन फिर भी लोगों की ये भीड़ रुकने का नाम नहीं लेती ये क्यों भूल जाते हैं ..की किसी का बुरा करके कभी किसी ने सुख पाया है .. और अपनी भोतिक लालसाओं की पूर्ति के लिए किसी की जान लेना कन्हा का न्याय है ! इंसानियत को शरमसार कभी किसी ख़ुशी की छह नहीं की जा सकती . और आज की इक्सवी सदी में जब हम मंगल पर जीवन की कामना कर रहे हैं .. हमें अपनी सोच के दायरे को भी बढ़ाना होगा . इसके साथ ही कुछ पैसों के लालच में लोगों के अन्धविश्वास को विश्वास में तब्दील करते , अखबारों प्रोग्रामों पर भी सख्त कानून होना बेहद ज़रूरी हा . जिससे कोई भी किसी की भावनाओं का फायदा ना उठा पाए !