आज सुबह ही मेरे घर एक छोटा सा बच्चा आया की मुझे एक गुलाब का फूल दे दो ! मुझे लगा की उसकी माँ ने लाने को कहा होगा पर मुझे हैरान होते देर न लगी जब उसने बताया की वो उसे अपनी गर्ल फ्रेंड को देना हे क्योंकि कल की छुट्टी है वाह रे पश्चिमी सभ्यता आज सात साल का बच्चा भी वैलेंटाइन मना रहा है क्या प्यार के लिए भी हम किसी दिन के मोहताज है बाजारों की रोनक देखकर लग रहा हे की जेसे कोई बहुत बडा त्यौहार आने वाला हे काश इतना पैसा जो वैलेंटाइन डे पर खर्चा किया जाता हे उसका आधा भी किसी गरीब को दिया होता तो वो शायद पेटभर कर सो जाता पर प्यार की अंधी दोड़ के आगे किसका बस चला है ! चलो प्यार करने वाले इसे मनाये पर अपनी सभ्यता को भी याद रखे नही तो शिव सेना वाले भी स्वागत को तैयार है पर अगर इसी तरह हमने अपने राष्ट्रीय पर्वो को सिर्फ़ छुटी का दिन ना समझकर मनाया होता तो आज इतना दुःख ना होता.!
सही बात कह रही है आप्।
ReplyDeleteबात तो सही है, लेकिन जो होता है हम उसके विपरीत जाकर निराशा क्यों होते हैं, इसकी बजाय यह हो जाता तो बेहतर था। चलो सात साल का बच्चा रिलेशन को बनाने की सोचता है।
ReplyDeletebilkul sahi kaha hai aapne .
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