Thursday, September 8, 2011

हम भी है तेरे साये में


हर लड़की के कुछ सपने होते हैं !एक राजकुमार आएगा और खुशियों के महल ले जाएगा !किसी के सपने पूरे हो जाते हैं ,तो कई एक ख्वाइश में ही जिन्दगी बिता देती है !आशा भी शायद उसी ख्वाहिशो को पूरा करने का सपना लेकर ही जी रही है !''आशा जिसने निराशा के अलावा कभी कुछ नही देखा ",१९ वर्ष की आयु में वह जल गई थी ,बचा था तो मुंह ,हाथ ,वह शरीर का कुछ हिस्सा !माँ -बाप को उसके बचने की खुशी कम और शादी की चिंता ज्यादा थी,की क्या होगा उनकी बेटी का , कौन  थामेगा उसका हाथ !रोज घर में रोना धोना होता ..कई बार तो उसके मन में आया की वो आतम हत्या  करके  अपनी जीवन लीले समाप्त कर दे,पर न जाने क्यो माँ-बाप को देख कर रूक जाती !कुदरत का करिश्मा हुआ और उसकी शादी हो गई !माँ -बाप के लिए तो येही गंगा नहाने के सामान था ,उन्होंने विवाह में कोई कमी नही छोड़ी  थी ,शुरुआत में उसे वोह एक कमरे का घर भी अच्छा  लगा ,जो शायद अच्छा ही रहता अगर उसका पति बुरी आदतों में न पड़ता !शराब ,नशा ,बुरी आदते घर में हमेशा कलह -कलेश ,मार -पीट काम धंधा  ख़तम होता जा रहा था और एक परिवार था जो बढता ही जा रहा था !कितना बार मायके गई घरवाले आते ,समझाते ,पेसे देते कुछ दिन सब ठीक बाद में वही फ़िर रोज का रोना वो क्या जानती थी की सरकार ने महिलाओ के लिए क्या कानून बनाये हैं ,और क्या जाने घरेलु हिंसा का शिकार महिलाओ के क्या अधिकार हैं !वह लड़ना जानती थी अपनी किस्मत से ,अपनी चार लड़कियों के लिए !इस बार जब मायके गई तो पाँच महीने वापिस नही आई ,हाँ इस बार वो मानाने आया था ,बेचारे माँ -बाप लगा सुधर गया है ,और बेटी को विदा किया फ़िर से न जाने कितनी बार किया था और अभी कितना बार करना बाकी था!वापिस आकर उसने सिलाई का कामं शुरू किया ,दिन -रात वो कम करती और उसकी गलिया वह मार खाती ,लेकिन इससे भी कंहा  चैन था ,पैसे के लिए उसकी सिलाई  मशीन तक तोड़ देता ! कंहा  जाती वो ,अब तो भाभिया  भी  ताने देने लगी थी की आप तो रोज ही आ जाती हैं !हद तो तब पर हो गई जब उसके पति ने सड़क पर ले  जाकर आशा को इतना मारा की आशा की जीने की साडी  आशा ही छूट गई !उसने ख़ुद पर मिटटी का तेल डाल  लिया की अब शायद जीने का कोई मतलब ही नही बचा लेकिन उसके बेटियों के शब्द की "माँ अगर तुझे कुछ हुआ तो हम किसके साए में जियेंगे ,क्या येही जिन्दगी है ,एक औरत की कभी माँ -बाप के लिए तो कभी पति तो कभी बच्चे क्या उसे खुशियों का अधिकार नही है ! वो ताउम्र दुसरो के आंसू पीती है !वो खड़ी हुई नई आशा के साथ और पुलिस स्टेशन गई क्योकि अब उसे अपनी नही इन लड़कियों के लिए खड़ा होना था ताकि कल को कोई यह न कहे की बाप तो था ही एसा और माँ .........वोह फ़िर से दोषी न बन जाए !कब तक कितनी ही औरते इसे ही अत्याचार ,जुलम ,घरेलु हिंसा का शिकार होती रहेगी  !भारत जेसे देश में तो लड़की को देवी का दर्जा दिया जाता है वंहा यह लक्ष्मी कितने युगों तक अपमानित होगी क्या यह देवी सिर्फ़ साल के ९ दिनों (नवरात्रों) के लिए हे,वह क्या वही हमेशा सीता की तरह अग्नि परीक्षा से गुजरती रहेगी !आज महिलाये आकाश को छु रही हे,कोई भी क्षेत्र उनकी सफलता से  इनसे अछुता नही है ! अब महिलाओं को ही इन अत्याचारों के खिलाफ  आवाज उठानी होगी ,अपने अभिमान की , स्वाभिमान  "आज फ़िर नारी को अपने अन्दर की दुर्गा जगानी होगी ,और समाज को औरत की शक्ति दिखानी होगी "


3 comments:

  1. अब महिलाओं को ही इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठानी होगी

    सही लिखा है आपने....

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