Tuesday, October 20, 2009

याद

कभी दिल को रुला कर तड़पा कर जाती हैं ,
रेगिस्तान में तपती उस गर्म रेत की तरह ,
कभी बर्फ की तरह शरीर को अंदर तक ठंडक पहुंचाती ...................
तेरी याद
जो छुए -अनछुए पलों का एहसास कराती ,
तेरी याद को लगाकर सीने से सितम दुनिया के सहते हैं ,
आँखें रोती है , तेरी जुदाई में लेकिन लब कुछ न कहते हैं ,
तेरी यादों के झरोखों से निकलना हम न चाहेंगे ,
गाहे -बगाहे दोस्तों इन्ही लम्हों के सहारे जिन्दगी बिताएंगे !

2 comments:

  1. याद...ऐसी ही होती है...क़सक भरी...मिठास भरी...। अच्छा लिखा. बधाई.

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  2. Jus awesome yaar.......
    Am literally crying yaar.......
    Kuch batein yaad aa gayi yeh parh kar.....

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