Sunday, November 22, 2009

ਸਿਆਣਪ

ਸ਼ਹਿਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਇਕ ਛੋਟਾ ਜਿਹਾ ਜੰਗਲ ਸੀ ! ਔਸ ਜਗਾਹ ਤੇ ਕਯੀ ਛੋਟੇ ਪੰਛੀ ਆਪਨੇ ਘੋਸਲੇ ਬਣਾ ਕੇ ਰਹਿੰਦੇ ਸੀ ! ਔਥੇ ਇਕ ਬੋਹੜ ਦਾ ਬਹੁਤ ਵੱਢਾ ਦਰਖਤ ਸੀ ! ਜਿਸ ਉੱਤੇ ਇਕ ਚਿੜੀ ਰਹਿੰਦੀ ਸੀ ! ਔਸ ਬੋਹੜ ਦਿਯਾ ਜੜਾ ਕੋਲ ਹੀ ਇਕ ਕਾਲਾ ਸਪ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ ! ਔਹ ਸਾਰਿਯਾਂ ਨੂ ਬਹੁਤ ਤੰਗ ਕਰਦਾ ਸੀ ! ਕਾੱਦੀ ਕਿਸੀ ਚਿੜੀ ਦੇ ਅੰਡੇਆ ਨੂ ਖਾ ਜਾਂਦਾ ਕਦੀ ਆਂਦ੍ਯਾ ਚੋ ਨਿਕਲੇ ਨਵੇ ' ਚੁਚੁਈਆਂ ' ਨੂ ਡਰਾਉਂਦਾ ! ਔਹ ਇਸ ਗਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸ਼ਾਨ ਮੇਹ੍ਸੁਸ ਕਰਦਾ ਸੀ ਕੀ ਸਾਰੇ ਉਉਹ ਇਥੋ ਦਾ ਮਲਿਕ ਹੈ !ਉਸ ਜੰਗਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਪੰਛੀ ਉਸਤੋ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਸੀ ਅਤ ਔਸ੍ਤੋ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਬਾਰੇ ਕੋਈ ਤਰਕੀਬ ਸੋਚਦੇ ਰਹੰਦੇ ! ਬੋਹੜ ਤੇ ਰਹਿੰਦੀ ਚਿੜੀ ਨੂ ਵੀ ਬਾਕਿਯਾਂ ਵਾਂਗ ਆਪਣੇ ਅਨ੍ਦਿਯਾ ਦੀ ਚਿੰਤਾ ਲਾਗੀ ਰਹਿੰਦੀ ਕੀ ਕਲਾ ਸਪ ਉਹਨਾ ਨੂ ਨਾ ਖਾ ਜਾਵੇ ! ਜਦੋਂ ਚਿੜੀ ਦੇ ਚੂਚੇ ਅਨ੍ਦੇਯਾ ਤੋ ਬਾਹਰ ਆ ਗਏ ਤਾ ਚਿੜੀ ਦੀ ਚਿੰਤਾ ਹੋਰ ਵਧ ਗਈ ਅਤ ਉਹ ਹਰ ਵੇਲੇ ਆਪਣੇ ਚੁਚਿਯਾਂ ਨੂ ਸ੍ਮ੍ਝੋਉਂਦੀ ਕੀ ਜਦੋ ਮੇਂ ਘਰ ਨਾ ਹੋੰਵਾ ਤਾਂ ਉਹ ਉੜ੍ਹਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਨਾ ਕਰਨ ਅਤੇ ਕਾਲੇ ਸਪ ਤੋ ਬਚ ਕੇ ਰਹਨ ਪਰ ਚੂਚੇ ਬਹੁਤ ਸ਼ਰਾਰਤੀ ਸੀ ! ਇਕ ਦਿਨ ਚਿੜੀ ਦਾਨਾ ਲੇਨ ਗਈ ਤਾਂ ਬੱਚੇ ਉਡਣ ਦਿਯਾਂ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ਾਂ ਕਰਨ ਲਾਗੇ ਤੇ ਦਰਖਤ ਤੋ ਥਲੇ ਆ ਗਏ ! ਉਹਨਾ ਨੂ ਓਥੇ ਕਿਸੇ ਦੇ ਲਮ੍ਹੇ-ਲਮੇ ਸਾਹਾਂ ਦੀ ਆਵਾਜ ਸੁਨਾਯੀ ਦਿਤੀ ! ਜਦੋ ਓਹਨਾ ਨੇ ਦੇਖਿਯਾ ਤਾਂ ਉਹ ਕਲਾ ਸਪ ਸੀ ! ਉਹ ਇਕ ਵਾਰੀ ਤਾ ਡਰ ਗਏ ਤੇ ਆਪਨੇ ਘੋਸਲੇ ਵਲ ਮੁੜ ਪਾਏ ! ਤਾਂ ਸਪ ਨੇ ਘੜੀ ਤਰਸਦੀ ਹੋਯੀ ਅਵਾਜ ਵਿਚ ਕਿਹਾ ਕੀ ਦਰਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀ ਮੇਰੀ ਮਦਦ ਕਰੋ !ਪਰ ਚੂਚੇ ਇਨ੍ਹਾ ਡਰ ਚੁਕੇ ਸੀ ਕੀ ਰੁਕੇ ਨਹੀ ! ਕਾਲੇ ਸਪ ਨੇ ਦੁਬਾਰਾ ਫੇਰ ਅਵਾਜ ਮਾਰੀ ਕੀ ਮੇਂ ਤੁਹਾਨੂ ਕੁਛ ਨਹੀ ਕਹਾਂਗਾ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੇਰੀ ਮਦਦ ਕਰੋ ੧ ਦੁਬਾਰਾ ਆਵਾਜ ਸੁਣਨ ਤੋ ਬਾਦ ਚੁਚਿਯਾਂ ਦਾ ਡਰ ਥੋੜਾ ਘਟ ਗਿਆ ! ਉਹ ਉਸ ਕੋਲ ਆਏ ਤੇ ਭੋਲੀ ਜੀ ਆਵਾਜ ਵਿਚ ਪੁਚਿਯਾ ਕੀ ਇਹ ਕਾਲੇ ਸਪ ਤੁਹਾਨੂ ਕੀ ਹੋਯਾ ਹੈ ! ਕਾਲੇ ਸਪ ਨੇ ਜਵਾਬ ਦਿਤਾ ਮੇਨੂ ਝਾੜਿਯਾ ਵਿਚੋਂ ਕੰਡੇ ਚੁਭ ਗਏ ਹਨ ਅਤੇ ਇਨਾ ਵਿਚੋਂ ਖੂਨ ਵੀ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ ! ਇਹ ਗਲ ਸੁਣਕੇ ਚੁਚਿਯਾਂ ਨੂ ਸਪ ਤੇ ਬਹੁਤ ਤਰਸ ਆਯਾ ਤੇ ਉਹਨਾ ਨੇ ਕਿਹਾ ਅਸੀਂ ਕੰਡੇ ਕਢ ਦਈਏ! ਸਪ ਨੇ ਕਿਹਾ ਤੁਹਾਡਾ ਬਹੁਤ ਭਲਾ ਹੋਏਗਾ ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਮੇਰੀ ਕੰਡੇ ਕਦਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਦਦ ਕਰੋਗੇ !ਚੂਚੇ ਕੰਡੇ ਕਢ ਕੇ ਆਪਣੀ ਮਾ ਦੇ ਆਔਨ ਤੋ ਪਹਲਾ ਹੀ ਦਰਖਤ ਤੇ ਚਲੇ ਗਏ ੧ ਉਹਨਾ ਦੇ ਜਾਣ ਤੋ ਬਾਅਦ ਸਪ ਨੂ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋਯਾ ਕੀ ਇਹ ਉਹ ਹੀ ਚੂਚੇ ਨੇ ਜਿਨ੍ਹਾ ਦੀ ਉਹ ਜਾਨ ਲੈਣ ਬਾਰੇ ਸੋਚ ਰਿਹਾ ਸੀ ਅਤ ਅਜੇ ਉਹਨਾ ਨੇ ਹੀ ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਬਚਾਯੀ ! ਉਸਨੁ ਆਪਣੀ ਬੇਰਹਿਮੀ ਤੇ ਬਹੁਤ ਪਛਤਾਵਾ ਹੋਯਿਆ ! ਉਸ ਦਿਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਪ ਬਦਲ ਗਿਆ ! ਹੁਣ ਸਪ ਵੀ ਸਾਰਿਯਾਂ ਦਾ ਸਾਥੀ ਸੀ !ਕੁਛ ਦਿਨਾ ਬਾਅਦ ਉਥੇ ਦੋ ਲਾਕਾਧਾਰੇ ਆਏ ਅਤ ਉਸ ਬੋਹੜ ਨੂ ਕੱਟਣ ਬਾਰੇ ਗੱਲਾਂ ਕਰਨ ਲਾਗੇ ! ਇਹ ਸਭ ਦੇਖ ਕੇ ਚਿੜਿਯਾੰ ਤੇ ਚੂਚੇ ਡਰ ਗਏ ੧ ਹੁਣ ਜਦੋਂ ਸਪ ਉਹਨਾ ਦਾ ਸਾਥੀ ਸੀ , ਤਾਂ ਉਸਤੋਂ ਵੀ ਇਹ ਸਭ ਬਰਦਾਸ਼ ਨਹੀ ਹੋਯਿਆ !ਜਦੋਂ ਲਾਕਾਧਾਰੇ ਦਰਖਤ ਵਾਲ ਉਸਨੁ ਕੱਟਣ ਲਈ ਵਾਧੇ ਤਾਂ ਸਪ ਨੇ ਇਕ ਲਾਕਾਧਾਰੇ ਦੇ ਦੰਗ ਮਾਰ ਦਿਤੀ ! ਉਹ ਉਠੋ ਚਲੇ ਗਏ !ਸਾਰੇ ਪੰਚਿਯਾਂ ਨੇ ਸਪ ਦਾ ਧਨਵਾਦ ਕੀਤਾ !ਹੁਣ ਹਾਲਤ ਪਹਿਲਾ ਵਾਂਗ ਨਹੀਂ ਰਹੇ ! ਸਮਾਂ ਆਔਨ ਤੇ ਹਰ ਕੋਈ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰਦਾ ੧ਹੁਨ ਸਾਰੇ ਸਮਝ ਚੁਕੇ ਸੀ ਕੀ ਪਿਯਾਰ ਅਤੇ ਸਹਿਯੋਗ ਨਾਲ ਦੁਸ਼ਮਨ ਵੀ ਦੋਸਤ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਨੇ ਤੇ ਹਰ ਸਾਮਿਮ੍ਸ੍ਯਾ ਨੂ ਸਹਿਯੋਗ ਨਾਲ ਸੁਲਝਾਯਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ

रिअलिटी की वास्तविकता

रविवार का दिन मतलब पूरी मौज -मस्ती कोई जल्दबाजी नहीं ! इस रविवार को भी हम सपरिवार नाश्ता कर रहे थे की पड़ोस वाले शर्मा अंकल अखबार मांगने आये ! वे बताने लगे की बिटिया के लिए रिश्ता देखना है कंही कोई बात जम नहीं रही तो सोचा अखबार का सहारा लिया जाये ! पढाई - लिखाई भी काफी हो चुकी है अब अच्छा सा वर तलाश इस जिम्मेदारी से मुक्त हो जाये ! पापा भी उनकी हाँ में हाँ मिलने लगे की सही कह रहे हो आप सबसे बड़ी चिंता होती है ! पापा ने भी सरकार की तरह आश्वासन दे दिया की कोई लड़का हमें दिखा तो जरुर बताएँगे ! बहुत परेशान थे बेचारे क्योंकि लड़की संव्यवर की जिद पर अडी हुई है ! वे तो अखबार लेकर चले गए पर में सोचने लगी की प्रस्ताव बुरा नहीं है १ राष्ट्रीय चैनल पर न सही लोकल केबल पर भी दिखाया तब भी शादी का खर्चा आराम से निकल जायेगा और पब्लिसिटी मिलेगी वो अलग पर हमे किसी के निजी मामले में दखल देने का कोई हक नहीं है ! पर बुराई भी क्या है कभी माँ सीता का स्वंयवर था , तो अब राखी का कोई बड़ी बात नहीं ये तो आने वाले समय की तस्वीर है जिस प्रकार लड़कियों की संख्या रोज कम होती जा रही है ! आने वाले समय में संव्य्वर ही रचाए जायेंगे ! पर अगर राहुल महाजन जैसे लोगों को संव्य्वर की जरूरत पढ़ गयी तब क्या होगा ! अभी सोच में डूबी ही रही थी की मम्मी ने महाभारत लगा दी और दर्शय था हस्तिनापुर में बेठा संजय ' धृतराष्ट्र ' को कुरुक्षेत्र के युद्घ का लाइव दर्शय सुना रहा था वो भी केमरे, मंहगी लाइट्स, और मेक -अप के बिना में झट से बोल उठी इसे कहते हैं रियलिटी ! जिस प्रकार आज की मिसाइल , दवाइयाँ , कितना कुछ पुरातन युग की दें है उनमें रियलिटी शो का नाम भी जुड़ गया ! अंतर सिर्फ इतना रह गया की पोराणिक युग से कलयुग में आते -आते वास्तविकता गूम होती सी प्रतीत होती है ! दिन -प्रतिदिन संख्या में बढ़ते चैनलों व टी आर पी की होड़ ने सबको अँधा बना दिया है ! न परोसने वाला सोच -विचार कर रहा है न खाने वाला बस जो बिकता है वही दिखता है के जुमले को सब सिद्ध करने में लगे हैं ! कोई अपनी निजी जिन्दगी को परदे पर ला दिल का दुःख कुछ कम करना चाहता है ! रिश्तों को सार्वजनिक कर अपने अतरंग रिश्तों का प्रदर्शन कर कोन सा भार कम होता है अपितु घर तो जरुर टूटते हैं ! कंही सर्वश्रेष्ट दुल्हन तो कंही दुल्हों की तलाश है ! इन सभी महान लोगों को मेरा कोटि -कोटि प्रणाम है ! धन्य है वे माता -पिता जो अपने बच्चों को इन कार्यकमों में भाग लेने या कहे शोभा बढ़ने के लिए भेजते हैं ! क्या हुआ अगर कोई बच्चा जज की बातें सुनकर बेहोश हो गया या किसी को अस्पताल में भर्ती कराना पढा ! ये हमारे समाज का एक आधा - अधुरा चित्र है ! कहते हैं ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती ! अगर कोई खायेगा ही नहीं तो कोई बनाएगा ही क्यों जब खरीददार ही नहीं तो बेचने किस के लिए ! ये तो बहुत बड़ी बातें है चलो में भी रिश्ता ढूँढने में उनकी मदद करती हूँ ! बचपन से सुना है बेटियाँ सबकी सांझी होती है !

Monday, November 9, 2009

किसका दोष

फिलहाल मैं पटियाला शहर में पढाई कर रही हूँ ! एक दिन मेरी सहेलियों ने तय किया की इस शहर के प्रसिद्ध बाग़ बारादरी चल कर कुछ मौज -मस्ती की जाए ! यह जगह सचमुच खुबसुरत और सुकून देने वाली थी ! कोई चाहे तो कुदरत के रंगों में रंग कर शान्ति हासिल कर सकता है जो शहर की आपधापी में हमसे दूर हो गई है ! बारादरी को पुरा घूम कर हम सब एक जगह बेठ कर हँसी खेल कर रहे थे ! अचानक हमारा ध्यान फटे -पुराने कपड़े पहने एक लड़की की और गया ! जिसकी उम्र कोई सात -आठ साल रही होगी ! वह बहुत देर से हमे टकटकी लगाये देख रही थी ! कुछ बाद वह तरफ आई और पेसे मांगने लगी! आमतौर पर ऐसे समय में हमारे भीतर का मध्यमवर्ग जाग जाता है और या तो हम उसे कुछ सिक्के देकर पुण्य कमा लेते हैं या फिर उसे हिराक्त के साथ डपटते हुए भगा देते हैं ! कभी- कभी उसे मेहनत करने की सलाह दी जाती है ! ऐसे मौकों पर मुझे कभी समझ नहीं आता की क्या करना चाहिए! में कई बार पैसे दे देती हूँ या ऊहापोह में खड़ी रह जाती हूँ और फिर उस स्तिथि से निकलने के लिए थोडा हट कर खडी हो जाती हूँ ! थोडा हट कर खडा होना एक भाषा बन चुकी है जिसका मतलब होता है यंहा कुछ नहीं है ! मांगने वाला इस भाषा को समझ जाते जाते है और किसी दुसरे के पास किस्मत आजमाते चले जाते है ! लेकिन उस दिन ऐसा कुछ नहीं हुआ ! इसकी एक वजह शायद यह थी की वह अकेली थी और देर से हम लोगों को देख रही थी ! मुझे लगा की में उसकी नजरों में बंध सी गयी हूँ ! में उससे बातें करती चली गयी जिसे देख मेरी सहेलियां मुस्कुरा दी ! वह किसी तोत्ते की तरह जवाब दे रही थी , जैसे ये सरे सवाल उससे कोई इसी जगह पहले भी पुच चूका है ! उसके जवाबों के तोतेपन ने मेरे अंदर यह एहसास जगा दिया था की उसे मेरे सवालों का दायरा पता है और अगर कुछ पैसे मिल जाये तो किसी खाते -पीते घर की लड़की ऐसे सहनुभूति वाले सवालों का जवाब देने में क्या हर्ज है ! शायद इस एहसास से निकलने के लिए सहसा में पूछ बेठी की क्या तुम्हारा कोई सपना है ! कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा हाँ दीदी - में पढना चाहती हूँ , और आपकी तरह कुछ बनना चाहती हूँ ताकि मुझे और मेरे परिवार को बड़े आराम से पेट - भर खाना मिले ! उसके छोटे से सपने के लिए मेरे पास कोई दिलासा या सलाह के शब्द नहीं थे ! हमने उसे अपने पास से कुछ खाना दिया ! इस बारादरी से वापिस अपने हॉस्टल की और चल पड़े ! रास्ते भर में उसके बारे में सोचती रही ! सपने हमारे भी हैं डॉक्टर, इंजिनियर , अफसर बनने के ! हममे से बहुतों के सपने पुरे हो जाये जिनके पूरे नहीं होंगे , उनकी जिन्दगी के सुख आराम में बहुत जादा फर्क नहीं पड़ेगा ! उसके ये कहने पर में नहीं चौकी की वह पढना चाहती है ! मैं उम्मीद कर रही थी की वह शायद यह कहे ! मगर उसके यह कहने से की वह आराम से पेट भर खाना चाहती है , में विचलित हो गयी ! हम सभी अपने -अपने सपने के पीछे भागते हैं इस बात से बेखबर होकर की आसपास कुछ अलग किस्म के सपने तैर रहे हैं ! जिन्हें व्यवस्था आसानी से पूरा होने नहीं देगी ! दोष किसका है ? उसके माता -पिता , जिन्होंने उसे सड़क पर भीख मांगने के लिए छोडा या इस गरीबी का और गरीबी किसका दोष है ? अब भी ,मुझे कभी मंदिरों के बहर खड़े बच्चे दिखाई देते हैं तो मुझे वह लड़की याद आ जाती है ! इन बच्चों को दूसरो को देख लम्बी दुआएं देना सिखाया जाता है ! यह कैसा समाज है ! जंहा गरीब और बेबस लगातार पैसे वालों को दुआएं देते रहते हैं ! लेकिन कोई पैसे वाला इन्हें दुआएं देता नजर नहीं आया !

Friday, November 6, 2009

सुनहरी परी

रूपनगर एक छोटा सा राज्य था ! यह राज्य पहाडों के बीच में बसा हुआ था ! यंहा रहने वाले लोग बहुत ही सीधे -साधे व भोले थे ! सब लोग मिल जुल कर कम करते व वक्त पड़ने पर एक - दुसरे की मदद करते ! वीरकुमार इस राज्य का राजा था ! वह अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था ! प्रजा भी उसे बहुत सम्मान देती थी ! पड़ोसी राज्य उनकी खुशहाली देख जलते थे ! राजा बहुत ही बहादुर था अत : वे कभी उसे युद्घ के लिए चुनौती नही देते थे ! उसी राज्य में एक बहुत विशाल नदी बहती थी ! उसके आसपास का वातावरण बहुत ही मनमोहक था ! वंहा रहने वाले लोग उस नदी के पानी का प्रयोग अपने खेतो में पानी देने के लिए करता थे! उसी राज्य में एक लड़की रहती थी जिसका नाम दयावती था ! दयावती अपने नाम के अनुसार दया की मूर्ति थी ! वह बहुत छोटी थी जब उसके माता-पिता उसे अकेले छोड़कर चले गए ! पड़ोस में रहने वाली चाची उसे खाना देती थी ! वह उसी नदी के पास बैठकर घंटो अपने माता -पिता की याद में रोती रहती थी ! वह घर का सारा काम करती फ़िर भी उसकी चाची कभी प्यार के दो बोल उसके साथ न बोलती ! एक दिन अचानक जब वह नदी के रास्ते से गुजर रही थी , एक बुदिया को कराहते हुए सुना ! वह दर्द से तडप रही थी ! उसके पाँव पर चोट लगी थी और खून बह रहा था ! वह उन्हें घर ले जाना चाहती थी पर चाची के ड़र से नहीं ले जा सकी ! थोडी देर बाद वह घर चली गयी पर घर जाकर भी वह उनके बारें में सोचती रही ! अगली शाम फिर वह बुढिया मिली , अब वह ठीक थी ! इस प्रकार उन दोनों की दोस्ती हो गयी ! अब दयावती उसे दादी कहकर बुलाने लगी थी ! दयावती उससे अपने दिल की हर बात कर लेती ! वह सब कुछ उन्हें बताती ! दादी उसे बहुत प्यार करने लगी थी ! वह रोज उसे खाने की नयी -नयी चीजें देती व प्यार करती !एक दिन दयावती जंगल से आ रही थी तो उसने देख दादी वंहा नहीं है ! वह न तो उनका घर जानती थी न ही नाम ! ४-५ दिन बीत जाने पर भी जब वह नहीं आई तो उसे ड़र लगने लगा और वह रोने लगी ! कुछ देर बाद वंहा गर्जना हुई और देखते ही देखते दादी एक बहुत सुंदर ' सुनहरी परी में बदल गयी ! दयावती को कुछ समझ नहीं आ रहा था ! सुनहरी परी ने उसे प्यार किया और खा की मुझे धरती पर रहने का दंड मिला था और अब वह ख़तम हो गया है ! दयावती रोने लगी तब सुनहरी परी ने कहा की तुम मेरा एक पंख ले लो जब भी कोई मुश्किल आये इसे देखकर मुझे याद कर लेना में तुमसे मिलने चली आयुंगी ! अब तुम्हारे साथ सब अच्छा होगा यह मेरा वायदा है ! हमेशा खुश रहना कहकर वह आसमान में उड़ गयी ! दयावती अब फिर पहले की तरह उदास हो गयी लेकिन अब उसकी चाची उसे बहुत प्यार करती थी ! कुछ दिन बाद बादलों की गर्जना व आसमानी बिजली से जब पूरा राज्य काँप रहा था , भरी बारिश से जल - थल एक हुआ पडा था की राज्य में खबर फ़ैल गयी की नदी का बांध टूट गया है ! कितने लोग बेघर हो गए ! बच्चे रो रहे थे ! किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था ! दयावती के चाचा भी कही नहीं मिल रहे थे अचानक दयावती को उस पंख की याद ई ! वह दिल से परी को पुकारने लगी ! कुछ देर बाद रौशनी हुई और परी सामने थी ! उसने पूरी बात परी को बताई ! परी के लिए ये काम तो चुटकियाँ बजाने के सामान था ! कुछ देर बाद बांध बन कर तैयार हो गया ! यह बात रजा के कानो तक भी पहुँच गयी ! सारा राज्य दयावती की तारीफ कर रहा था और परी ने राजा के सामने दयावती की तारीफ की और सब बता दिया ! राजा दयावती की समझदारी पर खुश था की उसके कारन पूरा देश इतने बड़े संकट से बच गया ! रजा ने अपने बेटे की शादी दयावती से तय कर दी ! अब वह रानी बनने वाली थी ! परी ने उसे बहुत तोहफे व प्यार दिया और फिर मिलने का वायदा कर चली गयी !

Thursday, November 5, 2009

सबक

राजू एक गरीब कुम्हार का लड़का था ! वह अपने चारों भाई - बहन में सबसे बडा था ! उसके पिता सारा दिन काम करने के बाद भी मुश्किल से ही तीन वक़्त का खाना जुटा पाते थे ! इसके अलावा बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में कभी -कभी वह खुद को असमर्थ पाते थे ! राजू बहुत ही समझदार व पढने में होशियार था ! अपने ही गाँव के विधालय में वह हर साल प्रथम आता ! उसी विधालय में कुछ बहुत ही अमीर घरों के बच्चे भी पदते थे ! पढाई में नालायक होने के कारण वे रोज अध्यापकों की डांट खाते ! वे सब राजू से बहुत चिढ़ते थे ! कभी उसके कपडों तो कभी गरीबी का मजाक बनाते ! राजू कभी ये बात अपने माता -पिता सा नहीं कहता था ! विधालय से आने के बाद अपने पिताजी के साथ काम में पूरी मदद करता ताकि उनकी कुछ मदद हो सके ! अब उसके छोटे भाई - बहन ने भी पढना शुरू कर दिया था ! राजू की आठवी की परीक्षा ख़त्म हो गयी थी ! उसे अब अपना आगे पढना नामुमकिन सा नजर आ रहा था क्योंकि इसके लिए शहर जाना पड़ता था ! उसके गरीब माँ -बाप के पास इतना पैसा नहीं था की उसे बहर भेज सके ! इस बार जब नतीजा आया तो राजू पुरे जिले की परीक्षा में मेरीट लेकर आया ! राजू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ! उसे सरकार की तरफ से आगे पढने के लिए वजीफा मिल गया ! उसके अध्यापकों ने भी राजू के माता - पिता को बहुत समझाया की आपका बच्चा बहुत लायक है और ये एक सुनहरी मौका इसे ऐसे जाने मत दीजिये ! राजू के माता - पिता मान गए ! अब वह रोज पढने के लिए शहर जाने लगा ! रोज पैदल आने - जाने के बावजूद व पिता के काम में उनकी मदद करता ! वंहा भी वे अमीर बच्चे उसे तंग करते ! धीरे - धीरे वह उनकी संगत में आने लगा ! घर से झूठा बहाना बनाकर कापी - किताबों के बहाने पैसा मांगने लगा ! उसके माता - पिता भी इस कारण परेशान रहने लगे !शरुआत में तो उन्होंने कुछ नहीं कहा पर अब उनका बोझ बदने लग गया था ! राजू न वंहा कक्षाएं लगाता और न घर आकार कोई काम करता ! शहर में उन लड़कों के साथ घूमता फिरता रहता ! एक दिन शाम को जब वह घर आया तो देखा की उसकी बहन रो रही थी ! घर पर खाना भी नहीं बना था ! उसने माँ से पूछा तो उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया ! वह और घबरा गया ! तभी उसकी नजर जा रहे डॉक्टर साहब पर पढ़ी ! वह भाग कर उनके पास गया की क्या हुआ तब उन्होंने बताया की वे आज अपना खून बेच कर आये हैं ! पहले ही कमजोर होने के कारण उनकी तबियत खराब हो गयी ! वे नहीं चाहते थे की तुम्हारी पढाई में कोई रुकावट आये ! उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ! अपने किये पर उसे आज बहुत पछतावा हो रहा था ! वह जाकर अपने पिता के पांवों में गिर गया और उन्हें सब कुछ सच बता दिया ! अपनी गलती पर वह बहुत शर्मिंदा था ! दसवीं की परीक्षा में उसने बहुत मेहनत की और फिर जिले में नाम रोशन किया ! अब वह और लगन से पढने लगा व साथ ही बच्चों को भी पढ़ने लगा ! उसकी एक गलती ने उसे जीवन का सबसे बडा सबक सिखा दिया था !