आज जर्जर अवस्था में देख मुझे , डर जाते हैं सभी ,
कभी में भी आबाद हुआ करता था ......
डालते थे झूले , कभी मेरी मजबूत शाखाओं में ,
आज एक पत्ते को भी तरस जाता हूँ ...
लगते थे मेले , मनाते थे जश्न आज अपनी ही पहचान ..
दूंदते फिरता हूँ ....
अगर सवांरा होता तो कोई अजूबा बन जाता ,
या किसी खोजी का विषय ...
पर अब संवय को पल - पल गिरता देख ,
अपने अस्तित्व के पतन पर अश्रु बहाता हूँ ..
अश्रु बहाता हूँ .!!
waqt ke bahaav ke sath bahna niyati hai aur aisi avastha to aani hi hai koi bhi ho khandhar , manushya ya aur prani jagat .......hashra to yahi hona hai........behtreen bhav.
ReplyDeleteKhandhar kee peeda ko bahut saarthak abhivyakti di hai aapne...
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