सजल अपने माता -पिता की एकलौती संतान थी ! सजल के पिता एक बैंक में सरकारी कर्मचारी थे ! बचपन मे सजल जिस चीज की फरमाइश करता वह पूरी होती इस कारण वह अब मनमानी करने लगा था ! वह जिद्दी व अकडू होता जा रहा था ! इस कारण उसके माता -पिता परेशान रहने लगे थे ! सजल अब १०वि कक्षा में हो गया था ! इस बार उसके बोर्ड के पेपर थे पर उसका पढाई में बिलकुल ध्यान नहीं था ! एक दिन जब वह स्कूल से आया तो अपने कमरे में उदास होकर बैठ गया ! उसकी माँ को इसका कारण समझ में नहीं आया ! वे सजल को बुलाने उसके कमरे में गये तो सजल रोने लगा और मोबाइल फोन की जिद्द करने लगा ! सजल की माँ गुस्से में कमरे से बाहर आ गयी ! वह सारा दिन अपने कमरे में ही उदास बैठा रहा ! शाम को उसने विकास को सजल की सारी बात बताई ! सजल के पिताजी को उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया ! वे सजल के कमरे में गये और प्यार से समझाया की ऐसे खाने पर गुस्सा नहीं करते हम तुम्हारे पेपर हो जाने के बाद तुम्हे फोन ले देंगे ! लेकिन सजल पर कोई असर नहीं हुआ ! अंत में सजल की माँ ने उसके पापा को कहा की सजल आगे से पढाई करेगा आप इसे फोन ले दीजिये ! सजल ने स्कूल जाने से भी मना कर दिया की बच्चे मेरा मजाक बनाते की तुम्हारे पास फोन भी नहीं है ! अत: विकास सजल को बाजार ले गया और उसे फोन ले दिया ! अब सजल बहुत खुश था ! घर आने पर वह माँ को भी फोन दिखने लगा कितना प्यारा है में इसे अपने दोस्तों को दिखा कर आया ! निशा भी हसने लगी की कितना खुश है न पर विकास को चिंता हो रही थी की कंही सजल इसका दुरपयोग न करे ! निशा ने विश्वास दिलाया की सजल ऐसा कुछ भी नहीं करेगा ! सजल सिर्फ स्कूल जाते वक़्त इसे घर रखता और आते ही सारा दिन फोन पर लगा रहता ! वही हुआ जिसका विकास को डर था वह पढाई से जी चुराता ! सारा दिन फोन पर गाने सुनना, मेसज करना यही उसकी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया था ! स्कूल में अध्यापक की डांट पड़ती पर वह कोई भी बात घर तक न पंहुचने देता ! निशा उसे बहुत समझाती वह हर बार बहाना बनाता की अगली बार से ऐसा नहीं करूँगा ! उसके परीक्षा के दिन आने वाले थे ! वह टयुशनं से घर फोन पर गाने सुनता हुआ आ रहा था ! कानो में ईअरफोन लगे होने के कारण उसे पीछे आती गाड़ी का होर्न सुनाई नहीं दिया ! उसे गहरी चौटे आई ,उसके बाजू की हड्डी भी टूट गयी थी ! डॉक्टर ने साफ़ कह दिया की वह २ महीने तक बिस्तर पर रहेगा ! निशा का रो -रोकर बुरा हाल था ! विकास डॉक्टरों के चक्र लगा रहा था !अब वह पछता रही थी की काश उस दिन वह सजल का साथ न देती तो यह दिन देखना न पड़ता लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था ! सजल का पूरा साल ख़राब हो चूका था उसकी एक गलती की सजा अब सबको भुगतनी पद रही थी
शिक्षाप्रद आलेख - शुभकामनाएं
ReplyDeleteAchha sandesh detee sundar katha!
ReplyDeletebahut badhiaya prastuti.........
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