Tuesday, July 27, 2010

इंतज़ार





सावन के मास को अगर प्रेम का समय कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति  नहीं होगी होगी ! कोई भी प्रेमिका सावन के मौसम में अपने प्रेमी से दूर नहीं होना चाहेगी इन्ही भावों को शब्दों में पिरो कर काव्य रूप देने का एक प्रयास किया है !

आज फिर आसमान ने बादलों की चादर ओढ़ रखी है ,
चारों तरफ एक प्यार भरा एहसास है ,
मन ख़ुशी से रहा है  , मयूरों की तरह झूम,
इंतज़ार की घड़ियाँ मानो नहीं हो रही ख़तम ,
दिल फिर से उन लम्हों को चाहता है दोहराना,
वो फूलों  की महक , वो मिटटी की सोंधी खुशबु ,
वो चिड़ियों का बागों में जाकर चहकना , दिल का बहकना
यह कहकर धडकना की आयेंगे वो ........
तू हिम्मत न हार , तू करती रह प्यार से उनका इंतज़ार ,
में खड़ी हूँ वंहा जंहा आते थे वो , आकर पास बुलाते थे वो ,
में खड़ी हूँ आज इंतज़ार में , आयेंगे वो , आकर गले से लगायेंगे वो
जब आए तो बारिश रुक सी गयी , साँसे मेरी थम सी गयी ,
न दूँगी कंही अब जाने उन्हें , लगाने दो कितने बहाने उन्हें ,
 लंबे इंतज़ार के बाद आई घड़ियाँ हैं ये , न जाने फिर कब मुलाकात होगी ,
वो बोले तभी जब चाँद पूरा होगा , और ये मदमस्त बरसात होगी !
 

 
 
 


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