Tuesday, April 19, 2011

अनबोली आँखें


 
जिन आँखों से प्यार है , जिन्हें देखने को तरसता हूँ ,
आज इन्हीं आँखों में आसूओं कि वजह बन गया हूँ ,
चाहता हूँ , वही कशिश इन निगाहों में ...
लेकिन क्यों अब ये तेरी आँखें चुप है ..
आज तेरी चहकती  आँखों कि चुपी बन गया हूँ 
कभी ख़ुशी से झूम जाती थी ये आँखें मेरा नाम सुनकर 
आज मेरे अक्स से काँप जाती हैं 
अक्सर ढूंढा करता था ,  उन सवालों का जवाब जो तेरी आँखें अक्सर किया करती थी ..
पर आज उन सवालों के जवाब देना चाहता हूँ ..
लेकिन अब वो आँखें मेरे साथ नहीं है , पर फिर भी कंही  मेरे आस-पास है ...
कंहा ये नहीं जानता लेकिन तलाश जारी है ! 


1 comment:

  1. दिल से आवाज़ निकली है जर्5ओओर अपने गंतव्य की ओर जायेगी\ शुभकामनायें।

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