Monday, December 10, 2012

प्रेरक प्रसंग ( शिकायत या शुक्रिया )


पक्षियों में सबसे सुंदर कहे जाना वाला  मोर सावन के बादलों को उमड़ता देख कर नाचने लगा लेकिन कुछ ही देर बाद वो  नाचता हुआ रूक गया  ..और उदास होकर एक तरफ बैठ गया और  गहरी सोच में चला ग्या और अचानक उसकी आँखों से आँसू बहने लगे ..उसे नाचता हुआ देखने वंहा जंगल के सभी पक्षी आए थे ..और हर पक्षी उसके नर्तया कि तारीफ कर रहा था ..किसी कि कुछ समझ में नहीं आया कि मोर को अचानक क्या हुआ ! सबने मोर से बार-बार पूछने कि कोशिश कि लेकिन उसने किसी को कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप वंहा से चला ग्या . ..और  मोर मंदिर में जाकर ज़ोर से रोने लगा और कहने लगा कि हे परम-पिता आपने मुझे इतना सुंदर शरीर  दिया ..नर्तया करने कि कला दी ..फिर आपने मुझे इतने बदसूरत पाँव क्यों दिये ..जब मैं नाचते हुए इन्हें देखता हूँ तो शरम- सार होकर रो पड़ता हू. मुझे इनसे घ्र्णा होने लगती है ..आप मेरी मदद  कीजिये ..मैं भी खूबसूरत , अपनी ही तरह नाज़ुक से दिखने वाले  पाँव चाहता हूँ ..जिन्हें देख कर मुझे शर्मिंदगी का सामना करना पड़े ..जो मेरी सुंदरता को और बढ़ा दें ..भगवान ने कहा कि जो तुम्हारे पास है वो सबसे अच्छा है..ऐसा हों कि तुम्हें बाद मैं पछताना पड़े ..मोर ने कहा नहीं में आपके आगे विनती करता हूँ आप मेरी पुकार सुनें .भगवान ने कहा फिर भी मैं तुम्हें कुछ वक़्त का समय  देता हों सोच -विचार कर लो..लेकिन मोर नहीं माना .भगवान तथा-stu बोल कर गायब हों गए और कुछ ही समय के बाद मोर के पाँव बेहद खोबसूरत हों ग्ये ..मोर कि खुशी का ठिकाना नहीं रहा  वो खुशी के मारे पागल हुआ जा रहा था .उसे लगा जैसे उसका कोई नामुमकिन सपना हकीकत में तब्दील हों गया  है !   वो बेहद खुशी से जंगल कि और रहा था जिससे सभी पक्षियों को अपने खूबसूरत पाँव दिखा सके !वो अभी थोड़ी दूर चला ही था कि उसे कुछ आवाज़ें सुनाई पड़ी ..वो समझ ग्या कि शिकारी जंगल कि तरफ रहे हैं ! उसने तेज़ दौड़ना शुरू कर दिया जिससे वो सबकी पक्षियों को ये बता सके और सभी अपनी जान बचाने के लिए छिप जाएँ ..लेकिन  थोड़ी दूर भागने पर ही मोर थक ग्या उसे लगा जैसे उसके पाँव शक्ति-विहीन हों चुके हैं ..उनमें बिल्कुल भी जान नहीं है .उसे समझते देर लगी कि उसके नाज़ुक पाँव इस भारी शरीर का वज़न उठा पाने में असमर्थ है ! अब उसे अपनी गलती पर बहुत पछतावा हों रहा था ! उसे कुछ समझ नहीं रहा था कि वो क्या करे .तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी क्या अभी भी तुम्हें मुझसे कोई शिकायत है .मोर क्षमा कि याचना करता हुआ भगवान के पास ग्या और उनसे अपनी ज़िद्द के लिए माफी मांगी और साथ मैं ये भी कहा कि वो अपना वरदान वापिस ले लें ! वो अपने पुराने पाँव के साथ ही बेहद खुश है ..मोर को सीख मिल चुकी थी और वो समझ गया था की जिंदगी ने जो उसे दिया है उसकी कदर करनी चाहिए ! भगवान अपना वरदान वापिस ले गायब हों ग्ये !आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हर इंसान , तनाव का शिकार है ..क्योंकि हमने अपनी ख्वाहिशों को जरूरतों का रूप दे दिया है ..और उन्हें पूरा करने की चाह में हम जिंदगी के असली अर्थ को भूलते ही जा रहे हैं ! हमारे दिन का आधा वक़्त तो शिकायत करने में ही गुज़र जाता है ..और कई बार या कहूँ अक्सर इन फेहरिस्त में पहला नाम भगवान का होता है ! हम अपनी साँसों , तन्द्र्सुत शरीर , जरूरतों की पूर्ति या कहें इस अनमोल जिंदगी के लिए तो शुक्रिया कहना भूल ही जाते हैं ..लेकिन शिकायत करना नहीं भूलते .. जिससे दुख भी हुमें ही होता है पर अगर अपनी सोच  के नजरिये को शिकायत से बदल कर शुक्रिया कर लिया जाये हुमें कभी भी मोर की तरह पछताना नहीं पड़ेगा


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