सपनों की नगरी से आया हूँ
तुम भी एक सपना ले लो
पैसा चाहो , गाडी चाहो या चाहो ऐशो आराम
मैं सपनों का सौदागर तुम भी एक सपना ले लो
कोई चाहे सेहत खजाना , कोई चाहे रंग-रूप ,
सोना , चाँदी , हीरा मांगें जैसे तन पर धुप
कोई मांगता खाना और कपडा , लेकर आँख में आंसू
ना देखा कैसा होता है ,चाँद का चांदनी जादू
तुम हो सपनों के सौदागर ,तो सपना सच कर जाओ
कोई न सोये भूखे पेट ये चमत्कार दिखलाओ
सबके सर पर छत हो रहे न झोली खाली
कर दो सब सपनों को सच , रात छट जाए काली
मांग - मांग तो बढती जाए कैसे करून मैं पूरा
रोज़ दिखता हूँ मैं सपने , खुद जो ठहरा अधूरा
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