Thursday, June 27, 2013

चाँद और सपने

सपनों  की नगरी से आया हूँ 
तुम भी एक सपना ले लो 
पैसा चाहो , गाडी चाहो या चाहो ऐशो आराम 
कोई  बनेगा बड़ा अफसर ऊँचा करेगा देश का नाम 
मैं सपनों का सौदागर तुम भी एक सपना ले लो 
कोई चाहे सेहत खजाना , कोई चाहे रंग-रूप ,
सोना  , चाँदीहीरा मांगें जैसे तन पर धुप 
कोई मांगता खाना और कपडा , लेकर आँख में आंसू 
ना देखा कैसा होता है ,चाँद का चांदनी  जादू 
तुम हो सपनों के सौदागर ,तो सपना सच कर जाओ 
कोई सोये  भूखे  पेट ये चमत्कार दिखलाओ 
सबके  सर पर छत हो रहे झोली खाली 
कर दो सब सपनों को सच  , रात छट  जाए काली 
मांग - मांग तो बढती जाए कैसे करून मैं पूरा 
रोज़ दिखता हूँ मैं सपने , खुद जो ठहरा अधूरा 


No comments:

Post a Comment