Friday, November 6, 2009

सुनहरी परी

रूपनगर एक छोटा सा राज्य था ! यह राज्य पहाडों के बीच में बसा हुआ था ! यंहा रहने वाले लोग बहुत ही सीधे -साधे व भोले थे ! सब लोग मिल जुल कर कम करते व वक्त पड़ने पर एक - दुसरे की मदद करते ! वीरकुमार इस राज्य का राजा था ! वह अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था ! प्रजा भी उसे बहुत सम्मान देती थी ! पड़ोसी राज्य उनकी खुशहाली देख जलते थे ! राजा बहुत ही बहादुर था अत : वे कभी उसे युद्घ के लिए चुनौती नही देते थे ! उसी राज्य में एक बहुत विशाल नदी बहती थी ! उसके आसपास का वातावरण बहुत ही मनमोहक था ! वंहा रहने वाले लोग उस नदी के पानी का प्रयोग अपने खेतो में पानी देने के लिए करता थे! उसी राज्य में एक लड़की रहती थी जिसका नाम दयावती था ! दयावती अपने नाम के अनुसार दया की मूर्ति थी ! वह बहुत छोटी थी जब उसके माता-पिता उसे अकेले छोड़कर चले गए ! पड़ोस में रहने वाली चाची उसे खाना देती थी ! वह उसी नदी के पास बैठकर घंटो अपने माता -पिता की याद में रोती रहती थी ! वह घर का सारा काम करती फ़िर भी उसकी चाची कभी प्यार के दो बोल उसके साथ न बोलती ! एक दिन अचानक जब वह नदी के रास्ते से गुजर रही थी , एक बुदिया को कराहते हुए सुना ! वह दर्द से तडप रही थी ! उसके पाँव पर चोट लगी थी और खून बह रहा था ! वह उन्हें घर ले जाना चाहती थी पर चाची के ड़र से नहीं ले जा सकी ! थोडी देर बाद वह घर चली गयी पर घर जाकर भी वह उनके बारें में सोचती रही ! अगली शाम फिर वह बुढिया मिली , अब वह ठीक थी ! इस प्रकार उन दोनों की दोस्ती हो गयी ! अब दयावती उसे दादी कहकर बुलाने लगी थी ! दयावती उससे अपने दिल की हर बात कर लेती ! वह सब कुछ उन्हें बताती ! दादी उसे बहुत प्यार करने लगी थी ! वह रोज उसे खाने की नयी -नयी चीजें देती व प्यार करती !एक दिन दयावती जंगल से आ रही थी तो उसने देख दादी वंहा नहीं है ! वह न तो उनका घर जानती थी न ही नाम ! ४-५ दिन बीत जाने पर भी जब वह नहीं आई तो उसे ड़र लगने लगा और वह रोने लगी ! कुछ देर बाद वंहा गर्जना हुई और देखते ही देखते दादी एक बहुत सुंदर ' सुनहरी परी में बदल गयी ! दयावती को कुछ समझ नहीं आ रहा था ! सुनहरी परी ने उसे प्यार किया और खा की मुझे धरती पर रहने का दंड मिला था और अब वह ख़तम हो गया है ! दयावती रोने लगी तब सुनहरी परी ने कहा की तुम मेरा एक पंख ले लो जब भी कोई मुश्किल आये इसे देखकर मुझे याद कर लेना में तुमसे मिलने चली आयुंगी ! अब तुम्हारे साथ सब अच्छा होगा यह मेरा वायदा है ! हमेशा खुश रहना कहकर वह आसमान में उड़ गयी ! दयावती अब फिर पहले की तरह उदास हो गयी लेकिन अब उसकी चाची उसे बहुत प्यार करती थी ! कुछ दिन बाद बादलों की गर्जना व आसमानी बिजली से जब पूरा राज्य काँप रहा था , भरी बारिश से जल - थल एक हुआ पडा था की राज्य में खबर फ़ैल गयी की नदी का बांध टूट गया है ! कितने लोग बेघर हो गए ! बच्चे रो रहे थे ! किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था ! दयावती के चाचा भी कही नहीं मिल रहे थे अचानक दयावती को उस पंख की याद ई ! वह दिल से परी को पुकारने लगी ! कुछ देर बाद रौशनी हुई और परी सामने थी ! उसने पूरी बात परी को बताई ! परी के लिए ये काम तो चुटकियाँ बजाने के सामान था ! कुछ देर बाद बांध बन कर तैयार हो गया ! यह बात रजा के कानो तक भी पहुँच गयी ! सारा राज्य दयावती की तारीफ कर रहा था और परी ने राजा के सामने दयावती की तारीफ की और सब बता दिया ! राजा दयावती की समझदारी पर खुश था की उसके कारन पूरा देश इतने बड़े संकट से बच गया ! रजा ने अपने बेटे की शादी दयावती से तय कर दी ! अब वह रानी बनने वाली थी ! परी ने उसे बहुत तोहफे व प्यार दिया और फिर मिलने का वायदा कर चली गयी !

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