Sunday, June 27, 2010

छोटी राजकुमारी


न्दन  नगर  एक खुबसूरत  राज्य था !वंहा के राजा का नाम वीरभद्र था ! राजा की तीन बेटियां छोटी राजकुमारी थी ! वह तीनों राजकुमारियों को बहुत स्नेह करता था ! राजा वीरभद्र दयालु थे अत: प्रजा को अपने बच्चों की तरह ही प्यार करते ! इसी कारण प्रजा भी उनका पूरा सम्मान करती थी ! राजा ने अपनी राजकुमारियों को पिता के साथ माँ का भी प्यार दिया था ! जब छोटी राजकुमारी का जन्म हुआ था उससे कुछ दिनों बाद ही रानी काल का ग्रास बन गयी थी ! अत : छोटी होने के कारण राजा उससे थोडा अधिक स्नेह करते ! उसमें कुछ अस्वभाविक शक्तियां भी थी ! जो उसे प्रक्रति ने उपहार स्वरूप दी थी ! वह बहुत सुंदर थी ऐसा लगता की रूप की देवी ने फुर्सत से तराशा है , जब वह हंसती तो फूल खिलने लगते ! वह पशु-पक्षियों की भाषा भी समझ लेती थी ! इसी कारण बड़ी दोनों राजकुमारियां उससे जलन महसूस  करती थी ! वह मन ही मन उसे नीचा दिखाने का कारण तलाशती रहती ! लेकिन उसे किसी से कोई शिकायत नहीं थी ! वह हमेशा खुश रहती , उसे प्रक्रति से बहुत प्रेम था ! एक दिन छोटी राजकुमारी अपने कमरे में सो रही थी ! दोनों राजकुमारियां आई और उस पर अभिमंत्रित राख गिरा कर चली गयी !  छोटी रानी इस बात से अनजान अपने शयन -कक्ष में उसी प्रकार सोती रही ! सुबह हो गयी सब अपने कार्य  में लग गए ! राजा जब दरबार से लौटे तो उन्होंने ने सेवक से कहा  की तीनों राजकुमारियों को बुला लाये ! थोड़ी देर बाद बड़ी व मंझली राजा के पास पहुँच गयी ! राजा छोटी के बारे में पूछने  लगे ! तभी बड़ी रानी ने कहा की वह अब तक सो रही है ! रात  को हमने उसे किसी से बातें करते भी सुना था ! राजा ने हँसते हुए कहा की हाँ होगा कोई उसका परिंदा , व उसके कमरे की और बदने लगे ! जब वे वंहा पहुंचे तो देखा की राजकुमारी का आकर बहुत  छोटा हो गया था ! वे बहुत हैरान हुए और राजकुमारी से पूछने  लगे की ये सब क्या हुआ ! उसने जब घबराकर खुद को आइने में देखा तो डर कर रोने लगी ! उसी समय बड़ी राजकुमारी कहने लगी की बंद करो यह रोना -धोना यह सब छलावा है , इसकी असलियत तो जादू -टोना करना है , यह पक्षियों से बातें सब नाटक है ! उन्ही का उल्टा असर है यह की छोटी अब वास्तविक में बौने जितनी छोटी हो गयी है ! वे दोनों बहने हंसने लगी ! राजा की कुछ समझ में नहीं आ रहा था ! उसने अपने ज्योतिष , आचार्यों को बुलावा भेजा ताकि स्थिति  का कुछ पता चल सके ! दोनों राजकुमारियां अपनी सफलता से बहुत प्रसन्न थी ! राजा द्वारा बुलाये गए सभी विद्वानों ने कहा , की राजकुमारी  को राज्य से बाहर भेज देना चाहिए  ! इनका यंहा रहने प्रजा के लिए घातक है ! आखिरकार सबके प्रभाव में आकर राजा ने राजकुमारी को दूर एक जंगल में भेज दिया ! छोटी राजकुमारी इससे अपना किस्मत का लिखा समझ संतोष से वंहा रहने लगी ! वह  नन्ही परियों की तरह पक्षियों के साथ खेलती  , बातें करती १ वे सब भी उससे अत्यधिक स्नेह करते , उसे मीठे खुबसूरत फल-फुल  ला कर देते ! एक दिन छोटी राजकुमारी  चिड़ियों के झुण्ड  के पास बैठी बातें कर रही थी की उसे घोड़ों के टापों की आवाज सुनाई दी ! वह इधर उधर देखने लगी ! उसके चेहरे पर प्रसन्नता की एक लहर उत्पन्न हुई की शायद उसके पिताजी उसे वापिस लेने आये हैं ! लेकिन तभी एक सजीला जवान घोड़े से उतरा वह देखने में राजकुमारी के आकर का था ! वह राजकुमारी को देख उसकी सुन्दरता पर मंत्र्मुघ्द हो गया ! उसने छोटी राजकुमारी से पीने का पानी माँगा ! वह स्तब्ध खड़ा उसे निहारता रहा ! जब वह पानी लेकर आई तो वह कहने लगा , में पाताल लोक निवासी , हीरानगर का राजकुमार विक्रम हूँ ! में तुम्हसे विवाह करने का इच्छुक हूँ ! राजकुमारी ने भी थोडा संकुचाते हुए हाँ कर दी ! सभी पशु- पक्षियों को जल्दी मिलने का वायदा  कर वह चली गयी ! वंहा राजा व रानी इतनी प्यारी बहू पाकर बहुत प्रसन्न हुए ! वंहा धूम -धाम से उनका विवाह कर दिया गया ! राजकुमार को हीरा नगर का राजा व राजकुमारी रानी बन गयी ! वन्ही दूसरी और राजकुमारी के जाने के बाद राजा बहुत उदास रहने लगा ! प्रक्रति भी मानो रुष्ट हो गयी थी ! एक दिन रानी उदास हो रोने लगी , पत्ते झड़ने लग गए ! राजा विक्रम जब कमरे में आये तो रानी की हालत देख परेशां हो पूछने लगे की क्या हुआ है ! रानी कहने लगी मुझे यंहा किसी तरह की कोई परेशानी नहीं बस पिताजी की बहुत याद आ रही ही ! राजा ने कहा मैंने आज तक तुमसे कुछ नहीं पूछा  लेकिन आज बताओ ! रानी ने अपनी सारी आप बीती कह सुनाई ! राजा को अत्यंत दुःख हुआ वह सोचने लगा की किस प्रकार रानी को उसके पिताजी से मिलवाया जाये ! अभी इस बात को कुछ ही दिन बीते होंगे  की चन्दन वन की हालात ख़राब होने की सोचना आई ! गुप्तचरों  से पता चला की पडोसी राजा युद्ध की तयारी कर रहा है ! राजा वीरभद्र को और चिंता सताने लगी, मंत्रीगण कहें लगे की सिपाहियों की संख्या भी कम है !
 राजा ने कहा की अब क्या किया जाये , वजीर कहने लगा इस लडाई में हमें सिर्फ बौने ही जीता सकते हैं ! वे युद्ध में तेज हैं न ही किसी के हाथ आते ! क्यों न हीरानगर के राजा के आगे सहायता की गुहार लगाई जाये ! राजा को भी सुझाव पसंद आया और उन्होंने दूत को राजा के पास भेज दिया ! जब दूत ने यह बात राजा विकर्म को बताई तो उन्होंने सहर्ष अनुमति दे दी ! उन्हें यकीन नहीं था की उनकी खवाइश इतनी जल्दी पूरी हो जाएगी ! युद्ध हुआ बौनों ने राजा वीरभद्र को जीतवा दिया ! इसी ख़ुशी में राजा का आभार प्रकट करने  के लिए राजा वीरभद्र ने राजा विकर्म को सपरिवार  खाने पर आमंत्रित किया ! उन्होंने रानी को कुछ नहीं बताया व घुमने का बहाना कर , और आँखों पर पट्टी बांध उसे महल में ले आये ! जब आँखों की पट्टी हटाई गयी तो रानी की ख़ुशी का पारावार न रहा ! अपने पिताजी को सामने खड़ा देख उसकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बह निकली ! राजा ने बेटी को गले से लगा लिया ! उसके बाद राजा विकर्म ने सारी कहानी कह सुने! इतने समय में वे दोनों राजकुमारियां भी बदल चुकी थी ! उन्होंने अपनी छोटी बहिन से माफ़ी मांगी , और कहा हम तुम्हे तुम्हारा पुराना रूप , आकर लौटा देंगे ! छोटी रानी ने तुरंत मन कर दिया ! वो कहने लगी की वे लोग आकर में छोटे हैं , पर दिल से बहुत बड़े व साफ़ है ! मुझे यंहा सिर्फ पिताजी से मिलना था ! राजा ने उन्हें रोकने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन वह नहीं मणि ! रानी कहने लगी अब वही मेरा घर हैं में आपसे मिलने आती रहूंगी ! राजा ने रानी को धूम-धाम से अनेकोनेक उपहार दे विदा किया व सब सुख से रहने लगे !

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