Sunday, June 26, 2011

याद


आज भी सोचते हैं तेरी बेरुखी की वजह 
दोष मुकद्दर  को दें .या तेरे प्यार के काबिल नहीं थे ! 

2 comments:

  1. वृंदा जी, आपका अंदाजे बयां काबिले तारीफ है।

    इस शमा को जलाए रखें।

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    विलुप्‍त हो जाएगा इंसान?
    कहाँ ले जाएगी, ये लड़कों की चाहत?

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  2. वृंदा जी,
    नमस्कार,
    आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

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