Friday, August 21, 2009

जुदाई का एहसास

तेरी आवाज सुनकर जो मिली ख़ुशी ,
उसका एहसास नहीं कर सकते .......
गम तुझे ज्यादा है ,हमारी जुदाई का .....
पर ब्यान नहीं कर सकते ......
तू दूर जाकर हमसे हमे भूलना है चाहता ,
पर ..........................
ये यादें तेरा साथ नहीं छोड़ती , जितना जाते हैं
दूर ये उतनी ही पास चली आती हैं .......
तेरी साँसे भी दिल का हाल बया कर जाती है ,
आवाज तेरी उन्ही यादों के झरोंखो में लाकर ,
ठहरा देती है , जहाँ से निकलना तो है नामुमकीन ,
और रहना मेरे गम का सबब बनता जा रहा है .........
जितना चाहते हैं भूलना , तू हमें उतना ही याद आ रहा है
जानते हुए की कभी ..........
मिल न पाएंगे ,
तेरी नज़रों को जाम हम कब अपनी नज़रों के पिलायंगे ,
फिर भी ये बाजी खेलना चाहते हैं ,
सब जानकर भी हारना चाहते हैं .....क्योंकि
मजबूर हैं , तुझसे दूर हैं ......
किनारा एक जितना दुसरे किनारे से हैं ,
न वो किनारे कभी मिल पाएंगे ....ऐसे ही हम
तेरी यादों के सहारे जिन्दगी बिताना चाहेंगे !

2 comments:

  1. वाह क्या खूब लिखा है मोहब्बत को...चाहत को

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  2. बहुत सुन्दर कविता है!
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