कई दिल को लुभाने ,तो कंही दहलाने वाले नज़ारे थे ,
नजारों का क्या है ,नजारे तो नजारे थे !
कंही प्रक्रति की मनमोहक छटा ,तो कंही बाढ़ से पीड़ित लोग थे
कंही मासूम मुस्कान ....................तो कंही ........
भूख से बिलबिलाता बच्चा था !
नजारों का क्या है ,नज़ारे तो नज़ारे थे ......
कंही सात फेरे लेता नवविवाहित जोड़ा ....
कंही पति का शोक मनाती ....या दहेज़ की
आग में झुलसी दुल्हन ......
किसी की आँख में खुशी के मोत्ती .....
कंही दर्द की पुकार है ..........
कोई लड़ता हक़ की लड़ाई ......
तो कोई बेबस और लाचार है .....
नज़ारे तो नजारे ...कंही प्यारे ,
कंही अन्धकार है !
Nazaron par behtareen abhivyakti..
ReplyDeletebhav ko bahut behtar dhang se piroya hai aapne.
Nazaron ka varnana bahut hi achcha laga..
dhanywaad..sundar vichar ko kavita me prastut karane ke liye..
wadiya likhya hai gandhi......keep it up n all d best...trimurti
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है, जय श्री कृष्ण!
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