Monday, February 1, 2010

अनजाने रिश्ते

खचा-खच भरी हुई एक प्राइवेट बस में में अपने भाई के साथ बैठी हुई अपने गाँव से शहर जा रही थी ! पूरे रास्ते खिड़की से बाहर देखते हुए सिर्फ बड़े -बड़े धूल के गुबार नजर आ रहे थे और सड़क के नाम पर गड्ढे ! कभी अपने प्रदेश की तरक्की के बारे में सोचती की उसे नंबर एक का दर्जा क्यों दिया गया है और कभी भीड़ में खड़े लोगों के चेहरों को ! सब सोच ही रही थी की वो धीरे -धीरे चलती बस रुक गयी और एक करीबन सत्तर वर्षीय वृद्ध व उनके साथ दो महिलाएं बस में चढ़ गयी ! उन बाबा जी की तबियत बहुत खराब थी ! उसे देख मेरे साथ बैठा मेरा चौदह वर्षीय भाई खड़ा हो गया और वो मेरे साथ बैठ गए ! उनको पथरी का दर्द हो रहा था ! वह उनकी पीड़ा अवस्था असहनीय थी ! वे न बैठ पा रहे थे और न खड़े ! पूरे रास्ते मैंने अपनी बाजू से उनको पकडे रखा ! वे आँखें जेसे कुछ कह रही थी पर शायद जुबान साथ न दे रही हो ! एक अनजाना रिश्ता सा जुड़ गया था , शायद दर्द का रिश्ता ! मैंने उनके साथ आई महिला से पूछा की आप इन्हें कंहा लेकर जा रही है ! वे कहने लगी ये मेरे ससुर है इन्हें पथरी थी कुछ दवाइयां खायी तो ठीक हो गयी पर पानी भर गया ,सरकारी अस्पताल लेकर जाते हैं ! में सोचने लगी वाह से इंसान , शायद इस दर्द से बड़ा दर्द गरीबत का है ! मेरा भाई कहने लगा आप किसी बड़े अस्पताल ले जाईये लेकिन उनकी हालत सब कुछ बयाँ कर रही थी जो वो बच्चा नहीं समझ पाया ! सब तमाशबीन बने देख रहे थे और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ! गुस्सा आ रहा था की कितने लाचार हैं हम चाँद पर तो पहुँच गए पर एक बीमार को अस्पताल ले जाने तक की व्यवस्था न कर पाए ! उनका चेहरा देख मुझे बड़े - बड़े मंत्रियो की याद आ रहे थी और उनके झूठे वादों की जो इन्ही पांवो को छूकर जीतने के आशीर्वाद लेते हैं ! आज यही पैर चलने को भी मोहताज हो जाते हैं !आगे जाकर बस खराब हो गयी उनकी हालत बिगडती जा रही थी ! पहले ही बहुत देर हो चुकी थी ! मैंने कहा आप रिक्शा कर लीजिये वह अन्दर तक छोड़ देगा ! लेकिन उनकी बेबसी ने उन्हें मजबूर कर रखा था ! तभी एक व्यक्ति को मैंने कहा आप जाकर ले आइये ! कुछ देर बाद रिक्शा आया व हमने बहुत मुश्किल से उन्हें बिठा दिया ! उनका चेहरा बहुत कुछ कह रहा था ! हम आगे आये मैंने भैया से पैसे पूछे और उन्हें नमस्ते कर चली गयी ! उनकी आँखों ने बिना कहे कंही हज़ार शब्द कह दिए ! हमने ऑटो पकड़ा ! मेरा भाई पूछता रहा दीदी वो उन्हें कार में क्यों नहीं लाये ! अपने पैसे क्यों दिए ! पर मेरा दिल सिर्फ यही दुआ कर रहा था की आज कंही से कोई फ़रिश्ता आ जाये और उनका इलाज करदे !

7 comments:

  1. संवेदनशील हृदय से निकली अभिव्यक्ति. जहाँ नजर पड़े वहीं दुखों का अंबार है.

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  2. दुनिया बड़ी तमाशबीन है...लेकिन आप ने जो कर दिया..वो भी किसी मुश्किल घड़ी में कम न था। मुश्किल में जो काम आए..वो बड़ा हथियार होता है। और वो ही फरिश्ता।

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  3. बहुत मार्मिक संस्मरन है आज आदमी मे संवेदनायें खत्म हो रही हैं और इन नेताओं सो कोई उमीद रही नहीं। जाने कितने लोग इसी लाचारी मे अपनी जान खो देते हैं लिखती रहिये बहुत अच्छा लिखती हैं आप शुभकामनायें

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  4. aaj ki duniya mein farishtey kahan baste hain ..........bas kamna kar sakte hain ki har dil mein ek farishta base.

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  5. sach mai both accha likha hai mata keh rhe hai ki tare jaise log bht kam hai jo dosre logo k bare mai etna socte hai ma bht praise kar rhe hai ki. maa ki aur se gud luck aaisa he likhte raho very good

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  6. vrinda,
    congratulation, it is a nice effort, wish you all the success for your thoughtfull writing.
    word of caution, try and use pure hindi words, make it as a habit, only pure will give you satisfaction . Also make it little colourful and light,don't paint grief and sorrow all the time. Try AND WRITE some succees stories also, which motivates THE readers. write about your own classmates.
    when you write somethig , pl ask at the end why am i writing this?,what readers will think about it and its impact on readers.
    Never the less, it is a wonderfull start.
    Try learn, unlearn and relearn THINGS.
    At the end i would say it is a " bloody good Effort"
    keep it up
    col ajit

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  7. its true this country is full of problems,but our small small efforts can change this.your feelings are true,all the best.u 'ii surely get success.

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