हमारे जीवन में रंगों का बहुत महत्व है ! हर रंग अपने आप में कुछ कहता है ! हर रंग से जिन्दगी का कोई न कोई पहलु जुड़ा है ! कोई शक्ति का प्रतीक है तो कोई शांति का ! इन रंगों से अलग- अलग कहानिया भी जुडी है ! कहा जाता है की सफ़ेद चाँद की चांदनी से चुराया है और गहरा काला रात के अँधेरे से , हरा लहलहाती हरियाली का प्रतीक है तो पीला सरसों व गेंदे के फूलों का वही गुलाबी को सुन्दरता का रंग माना गया है ! हमारे आस -पास कितने ही रंग बिखरे पड़े हैं ! इनका एहसास करने और यह कामना करने , की हमेशा ये सुंदर रंग जिन्दगी को इसी प्रकार खुशहाल बनाये यह होली का त्यौहार मनाया जाता है ! इसका इतिहास जितना पुराना है उतना ही शिक्षाप्रद है ! होली से पूर्व किया जाने वाला होलिका देहन बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश देता है ! प्राचीन संस्कृत कवियों से लेकर आधुनिक कवियों ने होली का बहुत गुणगान किया है ! मथुरा , वृन्दावन ,व ब्रज की होली में आज भी कृष्ण भगवान की छवि को देखा जाता है ! कंही लट्ठ मार तो कंही फूलों की वर्षा की जाती है ! हमारी संस्कृति का प्रतीक है यह त्यौहार ! होली का त्यौहार साल में एक -बार आता है ! लेकिन आज इस उत्सव का अर्थ ही बदल गया है ! एक समय था जब सब गिले - शिकवे भुलाकर एक दुसरे के गले लग जाते थे ! दुश्मन भी दोस्ती का हाथ आगे कर पुराना वैर -विरोध छोड़ देते थे ! एक दुसरे पर रंग ढाल सब गुलाल के सप्त्रंगो में रंगीन हो जाते ! लेकिन आज इसी त्यौहार के नाम पर कीचड़ , कालिक मल इसे गन्दा किया जाता ! तेज आवाज में फूहड़ , द्विअर्थी गीत चला अश्लील हरकते की जाती है ! बुजुर्गों को जो परेशानी होती वह अलग स्त्रियाँ घर से बाहर नहीं निकल सकती ! नशे किये बिना यह पूर्ण नहीं होता व शराब , चरस इत्यादि पीकर लोग आपस में झगडे करते हैं व कईं बार कोई नव-विवाहित इस दिन बेरंग हो जाती है ! किसी माँ की गोद सुनी हो जाती है ! होली के रंग अगर सद्भावना, प्रेम उमंग के हो तो अच्छे लगते हैं लेकिन अगर साम्प्रदायिकता के हो तो कहर बरसा देते है ! आज जन्हा एक तरफ रोज बेगुनाह लोग मर रहे हैं कौन मनायेगा यह होली ! इसमें क्या दोष था उनका जो बम्ब विस्फोट में मारे गए या तालिबानियों के गुस्से का शिकार हुए या वे जो रोज गरीबी से पल- पल मर रहे हैं ! अंत में सबको होली की यही मुबारक बाद देना चाहूंगी की होली शालीनता के दायरे में मनाये जिसे किसी को परेशानी न हो ! क्योंकि कल को शायद आप भी उस मजबूर की जगह हो सकते हो ! पानी व्यर्थ न बहाएं व अपने टूटे हुए रिश्तों को जोड़ने का प्रयास करे ! हर परिवार को खुशियों की होली नसीब हो लाल रंग ख़ुशी का हो ! हम खून की नहीं गुलाल की होली खेले ! क्योंकि दूसरों की जिन्दगी उजड़ने वाले शायद रंगों को भूल गए हैं ! जब रंग उनसे रुठेंगे तो वे बदरंग हो जायेंगे ! अब वक़्त है जिन्दगी के रंगों को समझने व जानने का !
जब रंग उनसे रुठेंगे तो वे बदरंग हो जायेंगे ! अब वक़्त है जिन्दगी के रंगों को समझने व जानने का !'
ReplyDeleteसही कहा है रंगों को रूठने नहीं देना है
सुन्दर आलेख
"सार्थक लेख है आपका वृंदा, पर हम पुराने समय को किसी कीमत पर नहीं ला सकते, लेकिन अच्छे विचारों की तरंगे पूरे ब्रह्मांड में भेज कर मनचाहा परिवर्तन कर सकते हैं............"
ReplyDeleteप्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com
सार्थक और विचारणीय आलेख.
ReplyDeleteआप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
आज पहली बार ही पढा शायद आपको , मगर अब आगे से कुछ छूटे न इसलिए आपकी फ़ौलोवर सूची में शामिल हो गया ...लिखती रहें ..
ReplyDeleteअजय कुमार झा
Bhadiya aalekh..Dhanywaad!
ReplyDeleteholi ki hardik shubhkaamanae!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
Holi mubarak ho...rang nahi jayenge is tyoharse!
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