Saturday, July 11, 2009

ओ मां...


ऐ खुदा,
तूने मां के रूप में एक फ़रिश्ता है दिया
जिसने कभी अपने बच्चों से कुछ न लिया
कितनी ही गलती करे वह या करे नादानियां
तेरी ममता की झोली भुला दे सारी परेशानियां
जब पास होती हैं तो तुझे जान नहीं पाते
क्या है कीमत तेरी पहचान नहीं पाते
तुझसे दूर होकर जाना
आज तू बड़ी याद आ रही है
क्यों करती है इतना प्यार अपने बच्चों से
कि तेरी दूरी इस कमी का एहसास करवा रही है
ये ममता का आंचल
हमेशा खुशियां ही निछावर करता है
जब करते है गुस्ताखी तो मां
तुझसे ये दिल डरता है
आ मां मेरे पास
तेरी यादें सता रही हैं
तेरी बातें आज बहुत रुला रही हैं...

2 comments:

  1. O maa. is very real and sensitive poem wrote by my friend.. i just wanna say that.."we all have to respect Our Mom.. ask those who don't have their mom." It is a must read poem..my request to all who love her mom..

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  2. गर्मियों की दोपहर में घनी छाँव है माँ
    सर्दियों के दिन की खिलती धुप है माँ
    माँ की गोद में दुनिया है ,स्वर्ग है
    धरती पर भगवान् का रूप है माँ
    .......माँ पर लिखी आपकी कविता पर अनायास ही मेरे दिल से ये पंक्तिया फूट पड़ी
    सशक्त लेखनी है आपकी

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