Tuesday, February 16, 2010

उड़ गयी सुनहरी चिड़िया


सुंदरवन एक छोटा सा राज्य था ! यंहा की प्राक्रतिक छटा बहुत ही मनमोहक थी ! इस राज्य में बड़े - बड़े चीड़, देवदार व अन्य कई तरह के वृक्ष थे ! जन्हा भिन्न - भिन्न प्रजातियों के पक्षी अपना घोसला बनाकर रहते थे ! वंहा एक हरिया नामक गडरिया भी रहता था ! उसे पशु -पक्षियों से बहुत लगाव था ! वह रोज अपनी भेड़ों को जंगल में चराने के लिए लेकर जाता था ! जंगल के पक्षियों को प्यार से बुलाता ! कोई न कोई खाने की वस्तु दाना इत्यादि उन्हें दाल देता !एक शाम जब हरिया अपनी भेड़ों व बकरियों को जंगल में चरा रहा था ! उसे बहुत ही मधुर संगीत सुनाई दिया ! वह इधर -उधर देखने लगा की यह आवाज कंहा से आ रही है ! सहसा उसकी नजर एक सुनहरे पक्षी पर पड़ी ! हरिया उसकी सुन्दरता देखकर हैरान हो गया ! वह समझ गया की यह सुनहरी चिड़िया ही यह मधुर गीत गा रही थी ! अब वह जब भी जंगल आता सुनहरी चिड़िया के लिए स्वादिष्ट पकवान लाता ! अब सुनहरी चिड़िया भी हरिया से स्नेह करने लगी थी ! उसके आने पर वह गाया करती ! उन दोनों को एक दुसरे से बहुत लगाव हो गया ! कुछ दिनों के बाद सुदूर देश से एक राजकुमार सुंदरवन घुमने आया ! यंहा के बाग़ , खलियान देखने के बाद उसने जंगल देखने की इच्छा व्यक्त की ! सब उसे समझाने लगे की जंगल में देखने लायक क्या है ! परन्तु वे नहीं माने और अकेले ही चल पड़े ! सुनहरी चिड़िया तब अन्य चिड़ियों के साथ दाना चुग रही थी ! राजा की नजर जब उस चमकती चिड़िया पर पड़ी वे उसकी सुन्दरता देखकर मंत्रमुग्ध हो गए ! वे उसे झाड़ियों में छिपकर निहारते रहे ! कुछ देर बाद चिड़िया ने गाना शुरू कर दिया ! राजकुमार की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ! वे इस विचित्र पक्षी के बारे में सबको बताना चाहते थे ! वे उस सुनहरी चिड़िया से इतने प्रभावित हुए की उन्होंने सुंदरवन के राजा वीरकुमार को एक पत्र लिखा ! उस पुरे पत्र में राजकुमार ने सुनहरी चिड़िया की बहुत तारीफ की ! अब तक राजा को ऐसी किसी चिड़िया की कोई जानकारी नहीं थी ! पत्र पढ़कर उन्हें बहुत ही आश्चर्य हुआ ! उन्होंने साथ ही अपने सैनिको को जंगल में जाकर सुनहरी चिड़िया पकड़ने का आदेश दिया ! सैनिको ने उसे बहुत खोजा लेकिन वह नहीं मिली! एक दिन राजा अपने बगीचे में रानी के साथ सैर कर रहे थे की रानी की नजर किसी चमकती चीज पर पड़ी ! जब राजा ने पास आकर देखा यह वही सुनहरी चिड़िया थी ! राजा -रानी बहुत खुश हुए ! अब वह चिड़िया राजमहल में रहने लगी! उसके लिए सोने का पिंजरा बनवाया गया ! कभी वह बागों में विचरण करती रात को पिंजरे में आ सो जाती ! राजा व रानी उसके गाना सुनते और बहुत खुश होते ! ऐसे ही कितना समय निकल गया ! एक दिन दूर देश से एक जादूगर आया ! उसने राजमहल में कई तरह के जादुई करतब दिखाए ! उसने जाते समय राजा को एक खिलोना दिया जो नाचता व गाता था! राजा को वह खिलौना इतना अच्छा लगा की वे सुनहरी चिड़िया को बिलकुल भूल गए ! अब वह बहुत उदास रहने लगी थी ! उसे लगता की वह महत्वहीन हो गयी है ! एक दिन वह राजमहल से उड़ गयी ! कितना समय बीत गया वह किसी को भी दिखाई नहीं पड़ी ! एक दिन वह नाचने गाने वाले खिलौने ने कार्य करना बंद कर दिया ! राजा ने कई कारीगरों को बुलाया पर वह ठीक न हो सका ! अब राजा को ' सुनहरी चिड़िया ' याद आने लगी ! सैनिकों ने चिड़िया को बहुत खोजा लेकिन वह नहीं मिली ! अब राजा बहुत बीमार रहने लगा था ! अब उन्हें अपनी गलती पर बहुत पछतावा हो रहा था ! कहते हैं चिड़िया जन्हा से आई थी वही चली गयी ! ऐसा ही होता है जब समय रहते हम किसी चीज की कदर नहीं करते तो बाद में पछतावा ही रह जाता है ! अत : हमेशा हर चीज का महत्त्व समझना चाहिए चाहे व खेल कूद, पढाई व सबसे उपयोगी समय ही क्यों न हो !

2 comments:

  1. बिल्कुल, हमेशा हर चीज का महत्त्व समझना चाहिए-अच्छी सीख!!

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