Friday, March 26, 2010

माँ

बदलाव आवश्क है , इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं लेकिन कभी -कभी जाने अनजाने में , आगे निकलने की होड़ में , या बदलते  परिवेश के साथ अनायास ही ये शब्द मुख से निकल आते हैं , यह कुछ पंक्तिया उस महान शक्सियत के लिए जो कभी कुछ नहीं मांगती! जिसके मुख से हमारे लिए हमेशा दुआएं निकलती है ! एक बच्चा माँ की गोद  में आकर अपने सब दुःख भूल जाता है , हमारे जीवन में हमारी पहली गुरु , उसका कुरूप बालक भी उसे इस दुनिया में सबसे खूबसूरत  लगता है ! कहते हैं ना  जब परमात्मा ने इस दुनिया को बनाया  तो वे हर वक़्त हम सब के पास नहीं रह सकते थे तो एक ममता की ठंडी छांव लिए , मुख पर मधुर मुस्कान लिए, त्याग की मूर्त इस कायनात पर आई ! माँ जिसके इस शब्द में पूरी दुनिया समां जाती है ! माँ ये तुम्हारे लिए
समय बदल गया, कल जब छोटे थे कोई हमारी बात नहीं समझ पाता था ,
एक ' हस्ती ' थी जो हमारे रोने और टूटे - फूटे अल्फाजों को भी समझ जाया करती थी !
खाना बनाते वक़्त भी रस्सी हाथ में ले , झूला झुलाया करती थी,
हमारे साथ हर पल बड़ी हुई , हर मुश्किल में साथ खड़ी  हुई
आज आसानी से कह देते हैं , आप नहीं समझेंगी , रहने दीजिये ,
आज भी जब नाम तेरी बेटी का छपता है , ऐह माँ मुझे असर तेरी दुआओं का लगता है ,
आज भी अचानक उठ जाती है सोते -सोते  , जब कह दिया था माँ मुझे डर लगता है !!उस वात्सल्य मई को हमारा कोटि - कोटि अभिनन्दन ! आप सभी को माँ के लिए मनाये जाने वाले इस दिवस की  की बहुत बहुत शुभ कामनाएं ! महंगे तोहफों के साथ साथ क्यों न आज एक प्रण लिया जाये की इस माँ का आदर कर उचित सम्मान करेंगे ! इस माँ को जीवन के किसी भी क्षण  किसी का मोहताज नहीं करेंगे 

1 comment:

  1. बहुत भावनात्मक रचना!

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    हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

    लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

    अनेक शुभकामनाएँ.

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