Monday, June 21, 2010

सकरात्मक सोच

एक अस्पताल में बड़ा सा वार्ड था ! जंहा कई मरीज दाखिल थे ! उनमें एक मरीज का स्थान खिड़की के पास था ! हर रोज कई बार डॉक्टर व नर्से मरीजों की परिचर्या करते ! उनमें एक मरीज हर वक़्त उदास रहता ! वह जिन्दगी से लगभग हार मान चूका था ! वह सदा डॉक्टर से मायूसी भरी बातें करता ! खिड़की के पास बैठा मरीज भी उसकी बातें सुनता व समझाने का भरसक प्रयत्न करता ! डॉक्टर जब भी उसे देखने आते उसे समझाते की तुम्हारा रोग इतना गंभीर नहीं है ! हिम्मत से काम लो अगर तुम ही जीने की आशा छोड़ दोगे तो दवाइयां क्या कर लेंगी ! लेकिन उसकी समझ में कुछ न आता ! खिड़की वाला मरीज भी उससे बातें करता ! उनके बेड़ एक -दुसरे से बहुत दूर थे ! दूसरा मरीज अक्सर खिड़की वाले मरीज को पूछता की दूसरी और क्या है ! वह मरीज कहता यंहा से प्रक्रति की मनमोहक छटा दिखती है ! बाहर एक बहुत बड़ा पार्क है जंहा बच्चे खेल रहे हैं ! दूसरा मरीज भी यह सब बातें सुन ईर्ष्या महसूस करता की काश में यह सब देख पता ! दूसरा मरीज अक्सर कोई न कोई रोना रोता रहता की की परिवार वाले ज्यादा सम्मान नहीं देते ! पैसे की कमी है ! वंही दूसरी और खिड़की वाला मरीज कहता की पास ही बहती एक नदी में बतखे तैर रही हैं ! गुब्बारे वाले रंग- बिरंगे गुब्बारे बेच रहे हैं ! बच्चे झूले- झूल रहे हैं ! अब धीरे- धीरे दूसरा मरीज भी सकरात्मक सोचने लगा ! खिड़की वाला मरीज उसे समझाता जिन्दगी बहुत खुबसूरत है बस हम ही उसके रंग तलाश नहीं पते ! उत्तार -चदाव तो जीवन में आते ही रहते है ! इसका मतलब यह नहीं की हम जीवन से हार जाये ! अब यह बातें उस पर असर करती थी ! वह भी एक खुशहाल जिन्दगी व परिवार जोड़ने का सवप्न सजाने लगा ! एक दिन जब वह सुबह उठा तो देखा वह बिस्तर खाली था ! वार्ड बाय ने आकर उसे खिड़की वाली सीट पर जाने को कहा ! वह अंतर्मन बहुत प्रसन्न हुआ की वह दुनिया के रंगों को देखेगा ! उसके सवप्न चूर हो गए जब उसने देखा वंहा खिड़की के साथ एक दिवार थी ! जब डॉक्टर आये और उसे कहा की अब उसकी सेहत पहले से बहुत बेहतर है ! उसने अपने मित्र और खिड़की के पुराने मरीज के बारे में पूछा डॉक्टर ने बताना शुरू किया तो उसके होश उड़ गए ! वह कैंसर का मरीज था ! उसका दुनिया में कोई नहीं था और न आज तक कोई उसे देखने आया ! लेकिन वह एक जिंदादिल इंसान था ! रात को हार्ट अटेक के कारण उसकी म्रत्यु हो गयी ! वह बहुत उदास हुआ और बताने लगा की वह तो खिड़की से मुझे सारी दुनिया का हाल सुनाता था ! डॉक्टर ने कहा यह कैसे हो सकता है वह तो अँधा था ! उस पर तो जैसे वज्रपात हुआ था , डॉक्टर कहने लगा यह सब उन्होंने आपको जिन्दगी से जोड़ने व हिम्मत से आगे बदने के लिए कहा होगा ! अत कभी हम सफलता न मिलने के , कारण भी नहीं तलाशते और किस्मत , भाग्य को कोसने लगते हैं ! सदा सकरात्मक नजरिया रखे जिससे आप संव्य तो प्रसन्न रहेंगे ही दूसरों को भी नयी राह दिखा सकेंगे

2 comments:

  1. बहुत ही शिक्षाप्रद कहानी।

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